शरीर में यूरिक एसिड लेवल का बढ़ता काफी खतरनाक होता है। इसलिए इसे कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी होता है।
सरकार ने प्याज की नियमित रूप से बड़े पैमाने पर खेती नहीं करने वाले राज्यों से ही प्याज का उत्पादन बढ़ाने को कहा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी बागवानी फसलों के उत्पादन के चालू फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल प्याज का उत्पादन 262.29 लाख टन हो सकता है।
प्याज का दाम फिर आसमान चढ़ गया है। देश की राजधानी दिल्ली और आसमपास के इलाके में प्याज का खुदरा भाव बीते तीन सप्ताह से 50 रुपये के करीब चल रहा है, जो अब 60 रुपये से उपर चला गया है।
लासलगांव में प्याज का औसत भाव 4250 से 4551 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहा। जबकि दो दिन पहले कीमतें 4 हजार के स्तर से नीचे पर थीं। कारोबारियों की माने तो महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल पर बुरा असर पड़ा है जिससे सप्लाई कम हुई है।
महंगाई की मार झेल रही आम जनता को अब थाली में भी महंगाई झेलनी पड़ सकती है। बीते कुछ दिनों से प्याज की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है।
सरकार के द्वारा प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाने के बाद दो दिनों में कीमत में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह, राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा कीमत में भी 25-42 प्रतिशत तक की वृद्धि देखने को मिली है।
सरकार ने सोमवार को प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर लगाई गई रोक को अगले साल एक जनवरी से हटाने का फैसला किया है।
सरकार ने सभी तरह के प्याज के निर्यात पर लगी रोक को हटा लिय़ा है। कीमतों में तेज उछाल को देखते हुए सरकार ने सितंबर में प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी
कृषि मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा कि बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों को लेकर आम लोगों में चिंता है। इसको देखते हुए प्याज आयात के नियमों में दी गयी ढील को 31 जनवरी, 2021 तक बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है।
इस साल जब प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी तो सरकार को अफगानिस्तान से प्याज का आयात करना पड़ा था।
देश की राजधानी दिल्ली में सोमवार को प्याज का खुदरा भाव 50 से 70 रुपये प्रति किलो चल रहा है जबकि थोक भाव 47 रुपये प्रति किलो तक था जो कि दिवाली से पहले 42 रुपये प्रति किलो तक गिर गया था। कारोबारियों की मानें तो दिसंबर से पहले महंगे प्याज से राहत मिलने के आसार कम है।
प्याज ब्लड शुगर को काबू में रखता है जिसकी वजह से मधुमेह के रोगियों की शुगर नियंत्रण में रहती है। बस इसके लिए आपको प्याज का इस्तेमाल कैसे और कितना करना है इसकी जानकारी होना जरूरी है।
नाफेड ने कहा कि इस बार उसने प्याज की गुणवत्ता और आकार पर खासतौर से जोर दिया है, जो भारतीय उपभोक्ताओं की पसंद से मेल खाता हो।
राजस्थान के उदयपुर और पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के रामपुरहाट में प्याज की कीमत सबसे कम 35 रुपये किलो है। राष्ट्रीय राजधानी में प्याज का खुदरा मूल्य 65 रुपये किलो, कोलकाता में 70 रुपये किलो और चेन्नई में 72 रुपये किलो रहा है।
भारत इस समय ईरान, मिस्र, तुर्की और हॉलैंड के साथ-साथ अफगानिस्तान से प्याज आयात कर रहा है।
आलू और प्याज के दाम आज आम लोगों की पहुंच से दूर हो रहे हैं। इस समय एक-एक किलो आलू और प्याज खरीदने के लिए 150 रुपये भी पर्याप्त नहीं हैं।
बोली जमा करने की अंतिम तारीख 4 नवंबर है और प्राप्त होने वाली बोलियों को उसी दिन खोला जाएगा।
आलू की आपूर्ति में सुधार के बारे में मंत्री ने कहा कि हम कीमतों को काबू में लाने के लिए करीब 10 लाख टन आलू का आयात करने जा रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ग्राहकों को त्योहारों के दौरान सब्जी सस्ते दाम पर मिले।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान 5.7 लाख डॉलर के प्याज बीज का निर्यात हुआ है। वहीं 2019-20 के पूरे वित्त वर्ष में प्याज बीज का निर्यात 35 लाख डॉलर रहा था। डीजीएफटी कीमतों पर अंकुश के लिए प्याज के निर्यात पर पहले ही रोक लगा चुका है।
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