प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के चलते वित्त वर्ष 2015-16 के पहले दस महीनों में इसका निर्यात मात्रा की दृष्टि से 6.75 फीसदी गिरकर 8.28 लाख टन रहा।
इस साल देश में प्याज का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है, जिसकी वजह से इस बार ज्यादा कीमतों की वजह से उपभोक्ताओं के आंसू नहीं निकलेंगे।
मध्य प्रदेश की थोक मंडी में प्याज की कीमत 20 और 30 पैसे प्रति किलो तक पहुंच गई है। वहीं दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी प्याज की कीमत 5 रुपए पर आ गई हैं।
दालों की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने 50,000 टन का बफर स्टॉक बनाया है। सरकार ने 20,000 टन दलहन आयात करने का फैसला किया है।
सरकार ने प्याज को महंगा होने से रोकने के लिए बफर स्टॉक बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार किसानों से 15,000 टन प्याज की खरीद करेगी।
विभिन्न राज्यों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते 2015 किसानों (खेतीबाड़ी) के लिए कठिन साल रहा। इस दौरान अनेक किसानों ने आत्महत्या तक की।
अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में थोक महंगाई बढ़ गई है। दाल, सब्जी, फ्यूल और नॉन-फूड आर्टिकल्स के दाम बढ़ने के कारण नवंबर में महंगाई -1.99 फीसदी दर्ज की गई।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में पिछले 10 दिनों के दौरान कीमतें 7 रुपए प्रति किलो तक चढ़ गई है। स्टॉक खत्म होने और उत्पादन में कमी से आई तेजी।
देशवासियों को महंगी प्याज से राहत देने के लिए सरकार ने 2,000 टन प्याज का आयात किया है।
देश में प्याज का उत्पादन खपत के मुकाबले अधिक होने के बावजूद की कीमतें आसमान छू रही हैं।
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