मोदी कैबिनेट में वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को पास कर दिया है। वहीं इस पर विपक्ष के नेताओं को भी रिएक्शन सामने आए हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे व्यवहारिक नहीं बताया है।
देश में एक बार फिर 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की चर्चा जोरों पर है। मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आइए जानते हैं क्या है 'वन नेशन-वन इलेक्शन' और इसके लागू होने से क्या फायदे और नुकसान होंगे।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट में इसे लेकर प्रस्ताव पास हो गया है।
पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही कई बड़े फैसलों का ऐलान कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार जल्द ही जनगणना शुरू कर सकती है। इसके साथ ही एक राष्ट्र-एक चुनाव पर भी मोदी सरकार ने बड़ी तैयारी की है।
मोदी सरकार एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर प्रतिबद्ध है और अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान ही इस पर बिल लाएगी। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से विधानसभा चुनाव अभी तक हुआ ही नहीं। राज्य की पार्टियां जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गई थीं। जिस पर कोर्ट ने राज्य में सितंबर से पहले चुनाव कराने का आदेश दिया था।
अगर सारे चुनाव एक साथ हों तो लाखों करोड़ रूपए बचेंगे, वक्त बचेगा और ये संसाधन दूसरे कामों में लगाए जा सकते हैं। लेकिन एक देश, एक चुनाव का लक्ष्य फिलहाल आसान नहीं लगता क्योंकि संविधान में तमाम संसोधन करने होंगे।
हिंदुस्तान का पूरा चुनाव बदलने वाला है.... चुनाव करवाने का तरीका बदलने वाला है... एक ऐसी रिपोर्ट देश के राष्ट्रपति को सौंपी गई है जिसके हिसाब से देश में एक साथ चुनाव होंगे... लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे... ये चुनाव 24 में तो नहीं होंगे.. लेकिन 29 में हो सकते हैं... 24 का चुनाव अपने टा
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में है तो घमंड में है और ये कुछ भी कर सकते हैं।
एक देश-एक चुनाव का अर्थ है लोक सभा, सभी राज्य विधान सभाओं और स्थानीय निकायों यानी नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराना। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
यह रिपोर्ट 2 सितंबर 2023 को पैनल के गठन के बाद से हितधारकों और एक्सपर्ट्स परामर्श और 191 दिन के रिसर्च का नतीजा है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुआई में 8 सदस्यों की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। इसमें रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत आठ सदस्य हैं।
इंडस्ट्री बॉडी भारतीय उद्योग परिसंघ ने एक राष्ट्र एक चुनाव के फायदे गिनाए हैं। सीआईआई ने कहा कि बार-बार चुनाव से परियोजना कार्यान्वयन में देरी होती है और आर्थिक विकास बाधित होता है।
देश के कुल 46 राजनीतिक दलों से भी एक राष्ट्र-एक चुनाव को लेकर सुझाव मांगे गए थे। इनमें से 17 राजनीतिक दलों ने अपने सुझाव लोगों को सौंपे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख रामनाथ कोविंद ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों (सीईसी) और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
ममता बनर्जी ने एक देश-एक चुनाव का विओर्ध करते हुए कहा कि इससे देश के संविधान को नुकसान होगा और केंद्र सरकार इससे संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाना चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक, अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो लगभग 30 लाख कंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग 32 लाख VVPAT की जरूरत होगी।
एक देश-एक चुनाव को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में बीते कई वर्षों से चर्चा हो रही है। समय-समय पर राजनीतिक दल इसके पक्ष व विरोध में अपने-अपने तर्क देते हैं। अब विधि आयोग ने एक देश-एक चुनाव के बारे में बड़ा अपडेट दिया है।
देश भर में एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से गठित कमिटी की आज पहली बैठक पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद समेत अन्य सदस्य भी शामिल हुए।
भाजपा महासचिव से पूछा गया था कि भारत के विभिन्न हिस्सों में एक समय पर अलग-अलग मौसमी हालात होने के मद्देनजर देश भर में एक साथ चुनाव कराया जाना व्यावहारिक रूप से संभव है? इस पर उन्होंने जवाब दिया है।
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