नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पुलवामा हमले के बाद कश्मीरियों के साथ कथित रूप से हो रही मारपीट के खिलाफ चुप्पी तोड़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को धन्यवाद दिया...
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने देश के विभिन्न हिस्सों में ‘कश्मीरियों को व्यवस्थित तरीके से निशाना’ बनाए जाने के खिलाफ कुछ नहीं बोलने पर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्षी कांग्रेस पर प्रहार किया।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करने के उनके रुख की पुष्टि भारत-सऊदी अरब के संयुक्त बयान में भी हुई।
उमर अब्दुल्ला ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में कुछ स्थानों पर कश्मीरियों को कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने पर कहा कि कश्मीर महज जमीन का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह लोगों से मुकम्मल होता है।
जम्मू-कश्मीर में बृहस्पतिवार को केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर आत्मघाती हमले में 37 जवान शहीद हो गए जबकि कई अन्य घायल हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने सूबे के लोगों से एक बड़ा चुनावी वादा किया है।
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने इस पर हैरानी जताई कि अगर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अफगानिस्तान में तालिबान से वार्ता करने की वकालत कर सकते हैं तो केंद्र जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों से बातचीत करने की पहल क्यों नहीं कर सकता।
उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर समस्या के समाधान के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिये मोदी सरकार को शुरु में बेहतर प्रयास करने का श्रेय देते हुये कहा कि इसके बदले में पाकिस्तान से उपयुक्त जवाब नहीं मिला।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा अजेय नहीं है क्योंकि कृषि, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, नोटबंदी समेत केन्द्र की कई नीतियों को लेकर लोगों के बीच ‘‘गुस्सा’’ है।
उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि उन्होंने रविवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को एक पत्र भेजने की कोशिश की लेकिन फैक्स मशीन अब भी काम नहीं कर रही।
राज्यपाल ने शनिवार को ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि उन्होंने विधानसभा इसलिए भंग की क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इतिहास में उन्हें एक ‘‘बेईमान’’ व्यक्ति के तौर पर याद किया जाए।
पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।
राम माधव ने कहा था कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनावों का व्हिष्कार किया क्योंकि सीमापार से इसको लेकर निर्देश मिला होगा
राज्यपाल कार्यालय की तरफ से कहा गया था कि फैक्स मशीन खराब थी और सरकार बनाने के दावे को लेकर उनके पास किसी तरह का फैक्स नहीं आया
गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस, एनसी और पीडीपी गठबंधन करके कथित तौर पर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
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पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी।
उमर अब्दुल्ला भाजपा के महासचिव राम माधव को जवाब दे रहे थे, जिन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से पूछा है कि निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने पर क्या वे हिस्सा लेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ किसी तरह के गठबंधन की संभावना को खारिज किया।
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