घाटी के कई हिस्सों में टेलीफोन सेवाएं हालांकि बहाल कर दी गई हैं लेकिन मोबाइल टेलीफोन सेवाएं और सभी इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से ही निलंबित हैं।
जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के बाद मुख्यधारा के सियासतदानों को हिरासत में रखने को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह कहते हुए न्यायोचित ठहराने की कोशिश की कि जितना ज्यादा वक्त वे जेल में रहेंगे उन्हें उतना ही राजनीतिक फायदा मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के राज भवन ने बयान में कहा कि राज्यपाल ने इन नेताओं (उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती) से कई बातचीत नहीं की है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों-फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के लिए इस बार ईद उल अजहा का त्योहार खामोशी भरा रहा क्योंकि पूर्व के वर्षों में उनके घरों में समर्थकों, दोस्तों, परिवार के सदस्यों की भीड़ लगी रहती थी।
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने की घोषणा के बाद ये गिरफ्तारियां हुई हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी की निंदा की है और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस कदम को औचित्यहीन बताया है।
आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे।
जम्मू एवं कश्मीर के तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बीच आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कैबिनेट मीटिंग हुई।
अधिकारियों ने आतंकवादी खतरे और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर शत्रुता बढ़ने के बीच अहम प्रतिष्ठानों और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है। सूबे के हालात के पल-पल के अपडेट्स के लिए हमारे साथ बने रहें:
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने रविवार की आधी रात दावा किया कि उन्हें उनके घर में नजरबंद कर लिया गया है।
कश्मीर घाटी में मौजूदा हालत पर चर्चा के लिए राज्य के प्रमुख सियासी दलों की रविवार शाम को यहां अहम बैठक हो रही है।
वहीं राज्यपाल से मुलाकात के बाद उमर उब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संसद को यह बताना चाहिए कि कश्मीर के हालात अचानक इतने खराब क्यों हो गए हैं।
जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के संबंध में कुछ संभावित बड़े फैसले को लेकर घाटी में बढ़ती अटकलों के बीच राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि अब मामला आर पार का हो चुका है और भारत ने जनता के बजाय जमीन को तरजीह दी है।
खबर आ रही है कि दिल्ली से श्रीनगर जा रही फ्लाइट से विदेशी नागरिक उतर गये है। ये सभी यात्री न्यूज़ीलैंड के थे और श्रीनगर जा रहे थे।
मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी कहा कि केंद्रीय बलों की 100 कंपनियों (10,000 सैनिकों) को एक हफ्ते पहले यहां तैनात करने का आदेश दिया गया था और वे अपने-अपने गंतव्यों पर पहुंचने की प्रक्रिया में हैं।
कश्मीर घाटी में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से हलचल मची हुई है। इस बीच घाटी में मौजूदा हालात के मद्देनजर सरकार ने आर्मी और एयरफोर्स को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा है।
सूत्रों ने कहा कि इस तरह अचानक 250 कंपनियों को देर शाम तैनात किये जाने का कोई कारण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में प्रवेश और बाहर निकलने के सभी रास्तों को केन्द्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों को सौंप दिया गया है। स्थानीय पुलिस की महज प्रतीकात्मक उपस्थिति है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। विपक्ष के कुल 31 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। बीएसपी, सपा, एनसीपी और पीडीपी ने बॉयकट किया।
पता चला है कि ये सारा प्रोपेगैंडा उन राजनीतिक और सामाजिक दलों के द्वारा किया जा रहा है जो हर हाल में आर्टिकल 35A के साथ खड़े हैं। जब से कश्मीर में सीआरपीएफ की 100 एडिशनल कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया गया है तब से इस पर सियासत तेज हो घई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के घाटी के सीक्रेट मिशन पर आने के तत्काल बाद उठाई है। इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी है।
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