ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने से जुड़ी अनिश्चितता के बीच सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) ने अक्टूबर में ईरान से सामान्य रूप से हर महीने होने वाली 7.5 से 8 लाख टन कच्चे तेल के आयात की बुकिंग कराई है।
रुपए में लगातार गिरावट से 2018-19 में देश का कच्चा तेल आयात बिल 26 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट जारी रहने से तेल आयात बिल 114 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
ईरान ने भारत को कच्चा तेल निर्यात जारी रखने के लिए ढुलाई पर बीमा सुरक्षा तथा अपने जहाज मुहैया कराना शुरू किया है। इससे सीधे जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल ईरान भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जून 2017 में जब अमेरिक की यात्रा पर गए थे उस वक्त दोनों देशों के बीच बातचीत के इस नए प्रारूप पर सहमति बनी थी। इसके बाद से दोनों देश कई बार तारीखों पर विचार कर वार्ता का कार्यक्रम निर्धारित करने की कोशिश कर चुके हैं।
दुनिया में सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक अर्जेंटीना में सूखा पड़ने की वजह से फसल खराब होने की आशंका के बीच इस साल उत्पादन कम होने की उम्मीद है। भारत सबसे ज्यादा सोयाबीन तेल का आयात अर्जेंटीना से करता है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में दिए अपने बयान में कहा है कि पेट्रोल में 15 फीसदी मेथेनॉल मिलाया जाएगा।
भारत अब अमेरिका से भी कच्चा तेल का आयात करेगा। इसके लिए अमेरिका के साथ एक समझौता किया है। तेल की पहली खेप इस साल अक्टूबर में भारत आने की उम्मीद है।
फरवरी में भारत का निर्यात 17.48 फीसदी बढ़कर 24.5 अरब डॉलर पहुंच गया। यह लगातार छठा महीना है जब निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
ओपेक द्वारा क्रूड ऑयल उत्पादन में कटौती की घोषणा तथा रुपए की विनिमय दर में तीव्र गिरावट के मद्देनजर भारत के लिए आयातित क्रूड ऑयल के दाम में वृद्धि होगी।
रिलायंस ने ईरान से छह साल के अंतराल के बाद कच्चा तेल खरीदा है और वह फारस की खाड़ी में स्थित देश से तय मात्रा वाले दीर्घकालिक सौदे करने पर विचार कर रही है।
देश का क्रूड ऑयल का आयात बिल बीते वित्त वर्ष 2015-16 में घटकर आधा यानी 64 अरब डॉलर रह गया। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का फायदा भारत को मिला है।
सुषमा स्वराज दो दिन की यात्रा पर ईरान पहुंचीं। उनकी यात्रा का मकसद इस शक्तिशाली इस्लामिक देश से तेल आयात बढ़ाने के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत बनाना है।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल कंपनियों को अपनी वाणिज्यिक जरूरतों के आधार पर खुद की स्वतंत्र कच्चा तेल आयात पॉलिसी बनाने की छूट दे दी।
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