सऊदी अरब इसलिए रूस से नाराज है, क्योंकि उसने सौदे के अनुरूप तेल का उत्पादन नहीं घटाया। इससे सऊदी अरब की तेल की कीमतों को कम से कम 81 डॉलर प्रति बैरल रखने की कोशिशों को झटका लग रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थितियों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। जानिए क्या और कैसे पड़ता है इसका प्रभाव।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लेने के बाद ईरान पर नये सिरे ये प्रतिबंध लगाये गये थे। अमेरिका ने भारत समेत अन्य देशों को ईरान से पेट्रोल का आयात घटाकर चार नवंबर तक "शून्य" करने को कहा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि इसमें किसी को भी किसी तरह की छूट नहीं दी जायेगी।
तेल निर्यातक देशों को कच्चे तेल के दाम घटने के मद्देनजर पिछले साल 390 अरब डॉलर का भारी-भरकम नुकसान हुआ है। इस साल और अधिक 500 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
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