ओडिशा ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों में से 29 शवों की अबतक पहचान नहीं हो सकी है। इस बीच प्रशासन ने लोगों से आगे आकर शवों की पहचान कराने और डीएनए टेस्ट कराने की अपील की है।
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भीषण ट्रेन हादसे के दो महीने बाद भी 29 शवों की पहचान नहीं हो सकी है। इस हादसे में 295 लोगों की मौत हुई थी।
2 जून की शाम को हुए भीषण ट्रेन हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई है। वहीं 900 से अधिक यात्री इस घटना में घायल हुए थे। इसस मामले में अभी सीबीआई की जांच जारी है।
ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए भीषण रेल हादसे की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई की टीम सिग्नल इंजीनियर से पूछताछ कर रही है।
सुकेश ने रेल मंत्री से डिमांड ड्राफ्ट बनाने के लिए संबंधित विभाग का नाम और अन्य जानकारी मांगी है ताकि जल्द से जल्द ड्राफ्ट बनाकर मदद की जा सके। सुकेश ने पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जो राहत-बचाव के कार्य किए हैं, उसकी भी तारीफ की है।
पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल की पटरियों के आसपास बसे अवैध घुसपैठियों और अतिक्रमणकारियों को वहां से हटाया जाए।
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उड़ीसा के बालासोर का रेल हादसा अभी भी जेहन में ताजा है। इस बीच ऑस्ट्रिया में बालासोर से भी बड़ा रेल हादसा होने वाला था। दरअसल ट्रेन जिस रेलवे सुरंग से गुजर रही थी, उसी में आग लग गई और पूरी रेलगाड़ी उसकी चपेट में आ गई। हालांकि राहत की बात यह रही कि फायर विभाग और राहत व बचाव दलों की सतर्कता से यात्रियों को बचा लिया गया।
ट्रेन हादसे के बाद भारत आए रामानंद के बारे में नेपाल में रहने वाले उनके माता-पिता को कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद माता-पिता अपने बेटे की तलाश में नेपाल से ओडिशा आ गए।
ठेकेदार द्वारा रेलवे के काम के लिए लगाए गए मजदूर वहां खड़ी मालगाड़ी के नीचे आश्रय ले रहे थे। तेज हवा के जोर पर जब मालगाड़ी के वैगन चलने लगे, तो मजदूर पटरियों से बाहर आने की कोशिश कर रहे थे।
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ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे की जांच कर रही सीबीआई की टीम आज भी घटनास्थल का मुआयना करेेगी और साक्ष्य इकट्ठा करने की कोशिश करेगी।
Odisha Train Accident: बालासोर हादसे की सीबीआई जांच तेजी से आगे बढ़ रही है. सीबीआई की टीम घटनास्थल पर तीन बार जा चुकी है.. आज एक बार फिर टीम घटनास्थल पर होगी. सीबीआई की टीम आज भी घटनास्थल से अहम सबूत जुटाने की कोशिश करेगी.
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना कितना भयावह था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस हादसे में बचे पीड़ित व्यक्ति ठीक से खाना तक नहीं खा पा रहे हैं। पढ़ें उस दिन के हादसे की दर्दनाक कहानी पीड़ित व्यक्ति की जुबानी...
ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे के बाद विश्वजीत को मरा हुआ समझकर मुर्दाघर में रखा गया था।उनके शरीर में कोई मूवमेंट नहीं थी, इसलिए उसे मरा हुआ मान लिया गया था। लेकिन उनके पिता हेलाराम मलिक ने उनके शरीर को ढूंढा और फिर उनका बेहतर इलाज करवाया। विश्वजीत अब जिंदा हैं और पिता का शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
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ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स-3 ने उड़ीसा के बालासोर हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपनी गहरी संवेदनाएं भेजी हैं।
फाउंडेशन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, ट्रेन एक्सीडेंट में हताहत लोगों को राहत पहुंचाने के लिए रिलायंस फाउंडेशन ने अपनी ओर से विशेष आपदा प्रबंधन टीम को तैनात किया है जो दिन-रात पीड़ितों को मदद पहुंचाने का काम कर रहा है। इसके तहत घायल लोगों को इलाज से लेकर दूसरी जरूरत को पूरा करने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही
ट्रेन यात्रा के दौरान अगर कोई एक्सीडेंट होता है, तो रेलवे यात्री को हुए नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी के द्वारा की जाती है। बता दें कि एक्सीडेंट में व्यक्ति को हुए नुकसान के मुताबिक ही बीमा की राशि दी जाती है।
राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि मृतकों के परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट के लिए कोई भी डॉक्यूमेंट देने की जरूरत नहीं होगी। राज्य सरकार सुओमोटो लेकर परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट मुहैया कराएगी।
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