यूक्रेन के ड्रोन हमलों से बौखलाए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अब युद्ध क्षेत्र में अंतरद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल तैनात कर दी है। इसका इस्तेमाल हुआ तो यह यूक्रेन में भीषण तबाही मचा सकती है। क्या पुतिन ने अब यूक्रेन पर इस मिसाइल के इस्तेमाल का मूड बना लिया है, क्या अब वाकई युद्ध का पूरी तरह खात्मा होने वाला है।
सुनामी से तबाह हुए फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट से 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जापान ने छोड़ना शुरू कर दिया है। इस पानी के छोड़ने से चीन और हांगकांग व दक्षिण कोरिया जैसे देश डर गए हैं। चीन ने जापान पर यह पाबंदी लगा दी है।
भारत ने जिस चांद पर आज अपना परचम फहराया है, उसे अमेरिका ने कभी न्यूक्लियर बम से उड़ाने की प्लानिंग कर डाली थी। अगर तब अमेरिका ने चांद पर परमाणु बम विस्फोट कर दिया होता तो आज चांद किस दशा में होता, इसकी कल्पना कर पाना भी मुश्किल होता। अमेरिका का यह सीक्रेट प्लान कामयाब हो गया होता तो इससे पूरी मानवता को खतरा हो सकता था।
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को विकसित भारत की नींव रखने वाले पीएम के तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में जो योजनाएं शुरू की, वो आज भी देश के लिए अहमियत रखे हुए हैं।
भारत और फ्रांस स्ट्रटेजिक पार्टनर रहे हैं। फ्रांस से राफेल खरीदने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ है। अब समंदर में भारत की ताकत बढ़ाने की बारी है। इसके लिए दोनों देशों के बीच 6 परमाणु पनडुब्बियों को लेकर बात चल रही है।
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन आखिर क्या करने वाले हैं, क्या वह किसी देश पर हमला करने जा रहे हैं...अगर नहीं तो फिर उन्होंने अपने सैनिकों को युद्ध में तैयार रहने को क्यों कहा। सैनिकों को युद्ध की तैयारी का निर्देश क्यों दिया। किम जोंग ने अचानक बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री और परमाणु बम के जखीरों का निरीक्षण क्यों किया।
नौ वर्षों में नई ताकत के साथ उभरी भारतीय सेना ने दुश्मनों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सेना अत्याधुनिक हथियारों, राफेल लड़ाकू विमानों, आइएनएस विक्रांत जैसे युद्धपोतों और खतरनाक परमाणु पनडुब्बियों से लैश है। अब पाकिस्तान और चीन भी भारत की नई सेना की ताकत से हैरान हैं।
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने अमेरिका की सरजमीं पर हमला करने के लिए बनाई गई नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के दूसरे परीक्षण का निरीक्षण किया।
ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अमेरिका के खुफिया विभाग ने बेहद गुप्त रिपोर्ट जारी की है। बता दें कि ईरान पिछले कई वर्षों से परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम संवंर्धन भी कर रहा है और वह इसके काफी करीब भी पहुंच गया है। मगर खुफिया रिपोर्ट कहती है कि ईरान अभी ऐसा कोई परमाणु हथियार नहीं बना रहा। हालांकि वह सक्रिय है।
उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रमों को तेजी से अंजाम दे रहा है। इससे दक्षिण कोरिया ही नहीं, बल्कि नाटो देश भी परेशान हो चुके हैं। अमेरिका भी कई बार किम जोंग उनक को चेतावनी दे चुका है। मगर किम जोंग उन मानने का नाम नहीं ले रहे हैं। इससे उत्तर कोरिया के साथ नाटो देशों का तनाव बढ़ना तय है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि बेलारूस भेजे गए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब उनके देश पर कोई खतरा होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध अब महाविनाश की ओर आगे बढ़ चुका है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि बेलारूस की टेलीग्राफ एजेंसी के अनुसार बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने साफ कहा है कि आक्रामकता की स्थिति में परमाणु हमले से इनकार नहीं किया जा सकता। बता दें कि अलेक्जेंडर पुतिन के परम मित्रों में हैं।
जापान के बर्बाद हो चुके फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी जल को समुद्र में छोड़े जाने को लेकर विवाद हो गया है। जापान इसे उपचारित करके समुद्र में सुरंग बनाकर छोड़ने का ट्रायल शुरू कर चुका है। मगर मछुआरों समेत पड़ोसी देश इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
अमेरिका को डर है कि कहीं रूस गुस्से में आकर यूक्रेन पर परमाणु हमला न कर दे। रूस ने अमेरिका के साथ परमाणु संधि को फरवरी में ही तोड़कर अपने खतरनाक इरादों का एहसास पूरी दुनिया को करा दिया।
यूक्रेन के जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर रूसी हमले की योजना के इनपुट से हड़कंप मच गया है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से अपील की है कि किसी भी नाभिकीय रिएक्टर को इस तरह निशाना नहीं बनाया जाए।
दुनिया में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते महाविनाश की घंटी बज चुकी है। यूक्रेन की आर्मी ने दावा किया है कि रूस ने उसके जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर बड़े हमले की तैयारी में है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए गए परमाणु बम से हुई त्रासदी की यादें उस वक्त ताजा हो गईं, जब राष्ट्रपति जो बाइडेन हमले की दर पर पहुंचे।
इस बार दुनिया के ताकतवर देशों के नेता उस हिरोशिमा शहर में मिल रहे हैं जहां मानव सभ्यता ने अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम का विध्वंस देखा था।
इस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी। यही कारण है कि इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया। लेकिन इस परमाणु परीक्षण को करना इतना आसान नहीं था। साथ ही परमाणु परीक्षण होने के बाद भारत को किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा आपको यह भी जानना जरूरी है।
परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
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