भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत एवं जुझारू बनी हुई है, जो वृहद-आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से समर्थित है। सुधरे हुए बहीखाते के साथ बैंक एवं वित्तीय संस्थान निरंतर ऋण विस्तार के जरिये आर्थिक गतिविधि का समर्थन कर रहे हैं।
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह (अप्रैल-नवंबर) में बैंकों के पास कुल जमा में 12.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले समान अवधि में जमा में 9.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। रिजर्व बैंक के ताजा बुलेटिन के अनुसार, एक दिसंबर, 2023 को ऋण वृद्धि एक साल पहले के 17.5 प्रतिशत से घटकर 16.4 प्रतिशत रह गई।
वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने यह भी कहा कि कुल राशि में पांच साल की अवधि के दौरान सभी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के चलते बट्टे खाते में डाले गए 93,874 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले भी कई सहकारी बैंकों में इस तरह के मामले सामने आ चुके है। उस बैंक के खातधारकों को बाद में परेशानी उठानी पड़ी है। ऐसे में एक और बैंक का एनपीए बढ़ाना चिंता का विषय है।
शेयर मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से बैंकों का एनपीए घटा है और बैलेंस सीट सुधरा है, वह बैंकिंग स्टॉक के लिए अच्छी खबर है। बैंक अब पहले से ज्यादा मजबूत हो गए हैं। इसका फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा। बैंक अपने कारोबार को विस्तार दे पाएंगे। इससे उनकी कमाई बढ़ेगी। कमाई बढ़ने पर शेयरों में तेजी आएगी। छोटे
भारतीय सरकारी बैंकों में एनपीए का मर्ज काफी पुराना है। कर्ज देकर न वसूल पाने के चलते बैंक एक समय पर एनपीए की खाई में धंसे थे, लेकिन अब ये खाइयां भरने लगी हैं
भारतीय अर्थव्यवस्था विपरीत वैश्विक हालात का सामना कर रही है। फिर भी मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियाद और स्वस्थ वित्तीय एवं गैर-वित्तीय क्षेत्र के मजबूत बही-खाते के चलते वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में है।
खुदरा कारोबार को दिए गए कर्ज में वृद्धि से बड़े कर्जदारों पर निर्भरता कम हुई है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में बताया कि बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले हैं।
Banks NPA: रेटिंग एजेंसी ने कहा कि लघु और मझोले आकार के उद्यम क्षेत्र और कम आय वर्ग वाले परिवार बढ़ती ब्याज दरों और ऊंची मुद्रास्फीति से प्रभावित हैं, लेकिन आगे ये जोखिम सीमित रहेंगे।
ग्रेट इंडियन नौटंकी कंपनी की स्थापना सितंबर 2007 में दिल्ली में की गई थी। कंपनी के शो में किंगडम ऑफ ड्रीम्स, नौटंकी महल और कल्चर गली आदि शामिल हैं।
पीएम मोदी ने उनकी सरकार द्वारा बैंकिंग सेक्टर के लिए किए गए सुधारों पर बोलते हुए कहा कि बैंकों के पास पर्याप्त तरलता है और उनके एनपीए का स्तर भी निरंतर कम हो रहा है।
मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में यह ग्रॉस एनपीए 7.6 प्रतिशत था। वहीं एक साल पहले मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में ग्रॉस एनपीए 8.6 प्रतिशत पर था।
नेशनल असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआर) के चालू वित्त वर्ष के अंत तक परिचालन में आने और पहले चरण में 90,000 करोड़ रुपये के एनपीए की संभावित बिक्री से उक्त सकल एनपीए में कमी आ सकती है।
अध्ययन के अनुसार बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) मार्च 2022 तक 10 लाख करोड़ रुपये से ऊपर जा सकती है।
बैंक का ग्रॉस एनपीए 30 जून, 2021 को समाप्त तिमाही में घटकर 9.69 प्रतिशत रहा। एक साल पहले जून, 2020 में यह 10.90 प्रतिशत पर था
देश का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस महीने अपने 12 फंसे कर्ज वाले खातों को ई- नीलामी के जरिये संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) को बेचेगा।
तिमाही के दौरान बैंक के एनपीए सुधरे हैं। तिमाही के दौरान बैंक के ग्रॉस एनपीए 16.3 प्रतिशत के स्तर पर आ गए हैं, जो कि पिछले साल की इसी अवधि में 19.99 प्रतिशत के स्तर पर थे।
वित्त राज्य मंत्री के मुताबिक मार्च 2018 से लेकर सितंबर 2020 तक रिकॉर्ड 2.54 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है। वहीं 12 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों ने 2020-21 की पहली छमाही में प्रॉफिट दर्ज किया है।
तिमाही के दौरान बैंक के ग्रॉस एनपीए घटकर 8.48 प्रतिशत रह गए। एक साल पहले की इसी तिमाही में ग्रॉस एनपीए 10.43 प्रतिशत के स्तर पर थे। इसी तरह बैंक का नेट एनपीए 4.05 प्रतिशत से घटकर 2.39 प्रतिशत के स्तर पर आ गए
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