आपने अखबार को पढ़ते हुए तो कई लोगों को देखा होगा मगर क्या कभी उसे ड्रेस बनाकर किसी को पहनते हुए देखा है। अभी सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है।
आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। हिंदी के प्रचार-प्रसार में पत्रकारिता का भी अहम योगदान रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार हिंदी का अखबार कब छपा था?
सोशल मीडिया पर एक लेटर वायरल हो रहा है। जिसमें एक शख्स ने SDM को पत्र लिखकर कुछ लोगों को दो घंटे तक माइक लगाकर गालियां देने की अनुमती मांगी है। मामला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का है।
दुनिया के सबसे पुराने दैनिक समाचार पत्रों में शुमार आस्ट्रिया की राजधानी वियना से छपने वाला वीनर जीतुंग समाचार का प्रकाशन अब बंद कर दिया गया है। अब इसका सिर्फ डिजिटल संस्करण चालाया जाएगा। यह 320 वर्ष पुराना दैनिक समाचार पत्र था।
Hindi Journalism Day: आज हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जा रहा है। हिंदी पत्रकारिता दिवस को करीब दो शताब्दी पूरे होने वाले हैं। आइए जानते हैं कि इसकी शुरूआत कब, कैसे हुई थी?
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में उन्होने गांधी परिवार का बचाव करते हुए G-23 नेताओं पर कड़ा हमला बोला है। संपादकीय में G-23 नेताओं की तुलना सड़े हुए आम से की है ।
अद्वैत ने इस ट्रेन के मॉडल को तैयार करने में अखबार की 33 शीट्स, 10 ए4 शीट्स का इस्तेमाल किया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि मीडिया में उन्हें निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर नकारात्मकता फैलाई जा रही है और इसी के चलते उन्होंने सुबह अखबार पढ़ना और शाम को टीवी पर चैट शो देखना बंद कर दिया है।
पाकिस्तान में एक अखबार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कई प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद स्थित उसके कार्यालय में घुस गए। ये प्रदर्शनकारी प्रमुख दैनिक अखबार की उस खबर से नाराज थे, जिसमें लंदन ब्रिज हमलावर की पहचान ‘‘पाकिस्तानी मूल के शख्स’’ के तौर पर की गई है
अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में FDI सीमा को 26 से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। प्रिंट मीडिया में FDI सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव काफी समय से लंबित है।
देश में अखबारों व पत्रिकाओं के बारे में आंकड़े उपलब्ध कराने वाले स्वायत्त निकाय ABC ने कहा कि वह डिजिटल संपदाओं की पाठक संख्या की गणना शुरू करने जा रहा है।
दुनियाभर में अखबार इंडस्ट्री दम तोड़ रही है, वहीं भारत की 30,000 करोड़ रुपए के प्रिंट मीडिया इंडस्ट्री का भविष्य बेहतर दिखाई पड़ रहा है।
संपादक की पसंद