नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 'आज कोलकाता में आना मेरे लिए बहुत भावूक करने वाला पल है। बचपन से जब भी ये नाम सुना- नेताजी सुभाष चंद्र बोस मैं किसी भी स्थिति में रहा, ये नाम कान में पड़ते ही एक नई ऊर्जा से भर गया'।
नेता के पड़पोते सीके बोस ने आगे कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने दिसंबर 1965 में पीएम के रूप में कोलकाता के रेड रोड पर नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किया था। तब से, 23 जनवरी को किसी अन्य पीएम ने राज्य का दौरा नहीं किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर पदयात्रा के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नेताजी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और उन्हें सही मायने में समझने की जरूरत है।
पदयात्रा शुरू करने से पहले ममता बनर्जी ने कहा कि आजादी से पहले ही नेताजी ने योजना आयोग और भारतीय राष्ट्रीय सेना की कल्पना नेताजी की दूरदर्शिता थी। वो (भाजपा) उन्हें अपना नायक मानने की बात करते हैं लेकिन योजना आयोग समाप्त कर देते हैं। हम उनकी 125 वीं जयंती को भव्य रूप में मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को कोलकाता जाएंगे जहां वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर पराक्रम दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे। बता दें कि मोदी सरकार ने नेताजी की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया है।
देश के स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के जनक नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की जयंती को अब से पूरा देश पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नेताजी का जन्मदिन 23 जनवरी (23rd January) को "पराक्रम दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। देश इस साल सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने जा रहा है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि उनकी अस्थियों को जापान के एक मंदिर में सुरक्षित रखा गया है जिनका डीएनए टेस्ट कराने और भारत वापस लाए जाने की बात पर चर्चा जोरों पर है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा की गई अपनी आलोचना पर अब हिंदू महासभा ने भी पलटवार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सुभाष चंद्र बोस के साहस और उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके अमिट योगदान का हमेशा आभारी रहेगा।
बोस और आजाद हिंद फौज पर संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आईएनए से संबंधित विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इसमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी और तलवार के अलावा आईएनए से संबंधित पदक, बैज, वर्दी और अन्य वस्तुएं शामिल हैं।
कर्नल शौकत अली मलिक ने पहली बार भारतीय जमीन में भारत का झंडा फहराया था। कर्नल मलिक आजाद हिंद फौज के सैनिक थे। 1947 को दूसरी बार झंडा फहराया गया था। कांग्रेस ने इतिहास में जबरदस्ती ये तथ्य छुपाए थे। चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद
पेरिस के इतिहासकार जे बी पी मोरे ने 11 दिसंबर 1947 की एक फ़्रेंच सीक्रेट सर्विस रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि नेताजी की मौत हवाई दुर्घटना में नहीं हुई थी, बल्कि वे 1947 तक जिंदा थे। पेरिस में पढ़ाने वाले मोरे कहते हैं, 'कागजातों में भी नहीं लिखा है कि
राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी आवास की समस्या को दूर करने के इरादे से केन्द्र ने मौजूदा सात आवासीय कालोनी के पुनर्निमाण का फैसला किया।
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