बोस ने कहा, ‘‘यह अत्यधिक अपमानजनक है कि नेताजी के अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछले साढ़े तीन साल से प्रधानमंत्री को पत्र लिखते रहे हैं कि भारत के मुक्तिदाता को सम्मान देने के लिए उनके अवशेष भारतीय सरजमीं पर लाए जाएं।’’
कई लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा वास्तव में नेताजी (बोस) थे जो नैमिषारण्य, बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद में कई स्थानों पर साधु के वेश में रहते थे। वह जगह बदलते रहे, ज्यादातर शहर के भीतर ही।
Subhas Chandra Bose: कई इतिहासकारों का मानना है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में प्लेन क्रैश में हुई थी। विमान में बम धमाका हुआ था। नेताजी के निधन के वक्त कई जापानी लोग भी उनके साथ थे। इस मामले में 1956 में जापान में एक विस्तृत रिपोर्ट आई थी।
कर्नल शौकत अली मलिक ने पहली बार भारतीय जमीन में भारत का झंडा फहराया था। कर्नल मलिक आजाद हिंद फौज के सैनिक थे। 1947 को दूसरी बार झंडा फहराया गया था। कांग्रेस ने इतिहास में जबरदस्ती ये तथ्य छुपाए थे। चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद
पेरिस के इतिहासकार जे बी पी मोरे ने 11 दिसंबर 1947 की एक फ़्रेंच सीक्रेट सर्विस रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि नेताजी की मौत हवाई दुर्घटना में नहीं हुई थी, बल्कि वे 1947 तक जिंदा थे। पेरिस में पढ़ाने वाले मोरे कहते हैं, 'कागजातों में भी नहीं लिखा है कि
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