बोस ने कहा, ‘‘यह अत्यधिक अपमानजनक है कि नेताजी के अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछले साढ़े तीन साल से प्रधानमंत्री को पत्र लिखते रहे हैं कि भारत के मुक्तिदाता को सम्मान देने के लिए उनके अवशेष भारतीय सरजमीं पर लाए जाएं।’’
PM Modi ने 21 Parakram Chakra विजेताओं के नाम पर Andaman and Nicobar समूह के 21 द्वीपों का नामकरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि Netaji Subhash Chandra Bose ने अंडमान में ही पहला झंडा फहराया था।#pmmodi
कई लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा वास्तव में नेताजी (बोस) थे जो नैमिषारण्य, बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद में कई स्थानों पर साधु के वेश में रहते थे। वह जगह बदलते रहे, ज्यादातर शहर के भीतर ही।
आज नेता जी की जयंती है। नेता जी ने अपना सारा जीवन देश के नाम कर रखा था। नेता जी ने देश की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया। आइए नेता जी के जीवन से जुड़े कुछ इतिहास पर नजर डालें।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में नेताजी के योगदान को याद करने का सबसे अच्छा तरीका कड़ी मेहनत करना और छुट्टियों में शामिल नहीं होना है। उन्होंने कहा कि यह सवाल पूरी तरह से सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
Subhash Chandra Bose Death Anniversary: देश की आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस का निधन कब हुआ। इस बारे में कई तरह की किंवदंतियां हैं। मगर कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक हवाई यात्रा के दौरान उनका दुर्घटना में निधन हो गया।
देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर पदयात्रा के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नेताजी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और उन्हें सही मायने में समझने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को कोलकाता जाएंगे जहां वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर पराक्रम दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे। बता दें कि मोदी सरकार ने नेताजी की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया है।
देश के स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के जनक नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की जयंती को अब से पूरा देश पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नेताजी का जन्मदिन 23 जनवरी (23rd January) को "पराक्रम दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। देश इस साल सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने जा रहा है।
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