Russia-Ukraine War: यूक्रेन के पास जमीनी लड़ाई लड़ने के लिए टैंक नहीं हैं। जर्मनी ने वादा करने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक की अभी तक यूक्रेन को सप्लाई नहीं दी है। इससे युद्ध में यूक्रेनी सेना रूस के सामने पस्त होने लगी हैं। हालत यह है कि विभिन्न क्षेत्रों से अपनी जान बचाने के लिए यूक्रेनी सैनिक युद्ध का मैदान छोड़ रहे हैं।
Russia NATO India: लावरोव ने कहा कि हम जानते हैं कि चीन इस तरह के उकसावे को कितनी गंभीरता से लेता है। नाटो देश दक्षिण चीन सागर और ताइवान में तनाव बढ़ाकर आग से खेल रहे हैं।
NATO & western Countries Pauper by giving Arms to Ukraine:रूस के साथ युद्ध चलते अब नौ महीने से अधिक का वक्त बीत चुका है। रूस से मुकाबले के लिए अब यूक्रेन में हथियारों की भूख और बढ़ रही है। मगर इधर यूक्रेन को हथियारों की खेप भेज-भेजकर नाटो समेत पश्चिमी देश भी कंगाल हो चुके हैं।
रूस ने एक बार फिर से यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं। इस हमले में रूस की कुछ मिसाइलें नाटो देश पोलैंड पर जा गिरीं। मिसाइल गिरने से पोलैंड के दो नागरिकों की मौत हो गई। हमले के बाद पोलैंड ने अपनी सेना की टुकड़ी को मौके पर रवाना कर दिया है। अमेरिका ने नाटो क्षेत्र की एक-एक इंच जमीन की रक्षा करने के वादे को दोहराया है।
Nuclear Bomb: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद क्या अब एक बार फिर दुनिया परमाणु युद्ध की चपेट में आ चुका है, क्या यूक्रेन से पहले रूस पर ही परमाणु बम से हमला हो सकता है?...यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि अचानक नाटो सेनाओं ने परमाणु हमले का अभ्यास करना शुरू कर दिया है।
Ukraine War: मध्य और पूर्वी यूरोप के नौ देशों को डर है कि यूक्रेन के बाद रूस उन्हें अपना निशाना बना सकता है। उन्होंने यूक्रेन के क्षेत्रों को रूस में मिलाए जाने का जवाब देने का अनुरोध किया है। नाटो की सदस्यता के लिए सभी 30 देशों की मंजूरी मिलनी आवश्यक है।
Russia-Ukraine War Update:यूक्रेन के चार बड़े क्षेत्रों को रूस में विलय करने के बाद पुतिन अब युद्ध को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते। जाहिर है कि यूक्रेन के अन्य क्षेत्रों से धीरे-धीरे वह अपनी सेना वापस बुला सकते हैं।
Russia-Ukraine: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ज़ेलेंस्की ने कहा कि जब तक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सत्ता में हैं, वह रूस के साथ बातचीत नहीं करेंगे।
World News: एशिया में अमेरिका, भारत, जापान की घेराबंदी से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब 'एशियाई नाटो' से सामना करने के लिए ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (जीएसआई) को अपना समर्थन दे रहे हैं।
Russia-Ukraine War: पिछले छह महीने से यूक्रेन से युद्ध लड़ते-लड़ते सिर्फ रूस का ही हाल बुरा नहीं हुआ है, बल्कि इससे पूरा यूरोप प्रभावित हुआ है। एक रिपोर्ट के दावे के अनुसार यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए गोला-बारूद और हथियार देने वाले नाटो देश यानि कि यूरोपी संघ अब कंगाल हो चुका है।
Turkey Russia America: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग लंबी खींच गई है। इसका खामियाजा यूरोप व अमेरिका के देश झेल रहे हैं। रूस ने तो यूरोप की तेल और गैस आपूर्ति ही ठप कर दी। इन सबके बीच जंग के दौरान तुर्की और रूस के बीच साझेदारी मजबूत हुई।
Germany help Ukraine in war with Russia: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे प्रलयकारी युद्ध के करीब छह महीने गुजर गए हैं। महाशक्तिशाली रूस से अभी भी यूक्रेन पूरी ताकत से जंग लड़ रहा है। इसकी वजह है कि अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देश उसकी मदद कर रहे हैं।
Russia-Ukraine war: आज यूक्रेन स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, लेकिन आज के दिन रूस, यूक्रेन पर बड़ा हमला कर सकता है। ऐसी आशंका राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जताई है।
Joe Biden: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से उसके प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा छीन लिया है। अमेरिका ने पिछले साल ही अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापिस बुला लिया था।
ब्लिंकन ने चीन पर ‘नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश’ करने का आरोप लगाया था।
बायडेन ने कहा कि अमेरिका जर्मनी और इटली में भी और ज्यादा एयर डिफेंस और अन्य क्षमता वाली सिस्टम भेजेगा।
NATO शिखर सम्मेलन के इतिहास में पहली बार साउथ कोरिया और जापान हिस्सा ले रहे हैं।
NATO Union: जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद इस सप्ताह के अंत में यूरोप में वर्ल्ड नाटो शिखर सम्मेलन में नाटो के 30 देश रूस के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों की एकजुटता और फिनलैंड तथा स्वीडन की नाटो सदस्यता को लेकर तुर्की के विरोध पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
NATO vs Russia: नाटो संगठन ने पूर्वी यूरोप में हजारों सैनिक भेजे हैं, जो रूसी सीमा के पास सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। इसके चलते ये आशंका जताई जा रही है कि पुतिन इन बाल्टिक देशों पर हमला करके इन्हें कब्जा सकते हैं।
NATO Summit 2022: रूस ने यूक्रेन पर हमला ही इसलिए किया था क्योंकि वह नाटो में जाने को बेताब था। जेलेंस्की के नाटो समिट में भाग लेने से रूस और बौखला भी सकता है।
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