रूस अपने दोस्त देश बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करके 'नाटो' को सबक सिखाना चाहता है। बेलारूस में परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर एग्रीमेंट भी साइन हो गया है।
यूक्रेन युद्ध में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने एक बार फिर से रूस की मुश्किल बढ़ा दी है। रूस के साथ युद्ध के दौरान सहायता करने के अपने वादों के मद्देनजर यूक्रेन को 98 प्रतिशत से अधिक लड़ाकू वाहनों की आपूर्ति की।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन नाटो के संगठन में शामिल होने का हकदार है। उन्होंने पिछले साल रूस के आक्रमण के बाद अपनी पहली यूक्रेन यात्रा के दौरान देश को लगातार सहयोग प्रदान करने का वादा किया।
यूक्रेन पर हमले के एक वर्ष से अधिक समय बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) चीफ के अचानक कीव पहुंचने से खलबली मच गई है। आखिर क्या वजह है कि अचानक नाटो चीफ यूक्रेन पहुंचे हैं। आपको बता दें कि नाटो शुरू से ही यूक्रेन को युद्ध में मदद करता रहा है। इसे लेकर रूस और नाटो में भारी तनातनी चलती आ रही है।
इस समय भारतीय वायुसेना के बेड़े में 36 राफेल जेट हैं। वायुसेना में शामिल होने के बाद राफेल 26 जनवरी की कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुका है।
फिनलैंड मंगलवार को आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो‘ में शामिल होने जा रहा है। नाटो के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि फिनलैंड मंगलवार को इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा। यह खबर रूस के लिए झटके की तरह है।
नई दिल्ली: यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच रूस ने पश्चिमी देशों से लगती बेलारूस की सीमा पर परमाणु हथियार तैनात करने का ऐलान कर दिया है। इससे नाटो देशों में खलबली मच गई है। दरअसल रूस ने यह कदम उठाने का फैसला इसलिए किया है कि नाटो और पश्चिमी देश लगातार युद्ध में यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं।
जूलियन स्मिथ ने कहा, ‘रायसीना डायलॉग से इतर कुछ आदान-प्रदान हुए हैं, जो एक शुरुआत है और बातचीत को थोड़ा खोल दिया है।‘ उन्होंने बताया कि यह संदेश पहले भी भारत को दिया जा चुका है कि नाटो गठबंधन के तौर पर निश्चित रूप से भारत के साथ और ज्यादा करीब होना चाहता है। नाटो में इस समय 40 देश जुड़े हैं।
पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को नाटो देश हथियारों की मदद कर रहे हैं। यह चिंता का कारण है। हालांकि इससे रूस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पुतिन ने अमेरिका और नाटो देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस के पास हथियारों का जखीरा जमा है, भरा हुआ है। इसका अभी तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया है।
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि एस्टोनिया में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के साथ कम्यूनिकेशन नहीं कर पाने के चलते रूसी विमान को एस्कॉर्ट करने के लिए नाटो के दो विमानों को भेजा गया।
यूक्रेन पर रूस की आक्रमकता बिना किसी वजह की एक ऐसी घटना है, जो पश्चिमी देशों और चीन के साथ रूस के रिलेशन को फिर से एक अलग तरह से देखा जा रहा है। रूस-यूक्रेन में जारी जंग के कई और मायने भी हैं, जो सामने आ रहा है।
बाइडन अब बुधवार को पोलैंड में 'नाटो' के पूर्व क्षेत्र के नेताओं से मुलाकात कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। नाटो के पूर्वी देश रूस के हमले की सबसे ज्यादा जद में हैं। यदि भविष्य में जंग और गहराई तो ऐसी स्थिति में 'नाटो' के पूर्वी देशों को क्या करना होगा, इस रणनीति पर भी चर्चा की उम्मीद है।
यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क शहरों के विवाद के अलावा युद्ध का दूसरा बड़ा कारण कीव का उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए पेश किया जाने वाला दावा भी था। रूस नहीं चाहता था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने, लेकिन जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने की जिद पाल ली थी। नतीजा सामने है।
अमेरिका ने यूक्रेन को नए हथियारों और युद्ध सामग्री के लिए 2.2 अरब डॉलर देने की घोषणा की है। समाचार एजेंसी एएफपी ने यह जानकारी दी है। वहीं AFP न्यूज एजेंसी ने फ्रांसीसी मंत्रालय के हवाले से रिपोर्ट दी कि 'फ्रांस, इटली यूक्रेन को मिसाइल सिस्टम भेजेंगे।'
यूक्रेन द्वारा नाटो के सदस्य देशों को दी गई विशलिस्ट में 500 टैंक, 200 युद्धक विमान, 1,000 तोपें, 1,000 ड्रोन और 300 मिसाइल लांचर की मांग की गई है। यूक्रेन का कहना है कि रूसी सैन्य आक्रमण का सामना करने के लिए उन्हें तत्काल इन हथियारों की आवश्यकता है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कहा है कि जब तक स्वीडन में कुरान जलाई जाती रहेगी, तब तक वह स्वीडन को नाटो में शामिल नहीं होने देंगे। हालांकि, एर्दोगन का नाटो सदस्यता के लिए फिनलैंड के आवेदन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है।
यूरोप में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब एशिया में ताइवान-चीन युद्ध भी देखने को मिल सकता है। इस भारी आशंका के मद्देनजर अमेरिका समेत यूरोपीय देशों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अब एशिया में ताइवान-चीन के बीच युद्ध की आशंका जाहिर की है।
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन युद्ध लगातार भीषण होता जा रहा है। करीब 11 महीने से चल रहा यह युद्ध अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। जनवरी के आरंभ से ही रूस यूक्रेन पर दोबारा हावी होता जा रहा था। रूस का दावा था कि वह जल्द ही यूक्रेन को हरा देगा।
राजदूत एंटोनोव ने दावा किया कि रूस-यूक्रेन दुश्मनी की वजह अमेरिका है। वह रूस के खिलाफ रणनीतिक हार के लिए यूक्रेन को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
संपादक की पसंद