NASA Moon Mission: नासा अपने मून मिशन के एक कदम और करीब पहुंच गया है। उसका ओरियन कैप्सूल चंद्रमा तक पहुंचा है। 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है, जब कोई कैप्सूल चंद्रमा तक गया है।
NASA Discovered New Galaxy: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ‘वेब स्पेस टेलीस्कोप’ ने ऐसी चमकती एवं शुरुआती आकाशगंगाओं का पता लगाया है, जो अभी तक नजर नहीं आई थीं। इस खोज के बाद से वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। इनमें से एक आकाशगंगा ब्रह्मांड की रचना करने वाले ‘बिग बैंग’ यानी महाविस्फोट के संभवत: 35 करोड़ साल बाद बनी थी।
अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने करीब आधी सदी के बाद चंद्रमा पर स्पेसशिप भेजने की दिशा में सबसे बड़ा कदम बढ़ा दिया है। ओरियॉन नाम का यह स्पेसशिप 42 दिनों में चंद्रमा का चक्कर लगाकर वापस आ जाएगा।
Space Shuttle Challenger: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का स्पेस शटल चैलेंजर लॉन्च होने के तुरंत बाद क्रैश हो गया था। जिससे उसमें सवार सभी सात लोगों की मौत हो गई थी। अब इसका मलबा मिला है।
अगर हम एस्ट्रोनॉट बनने के लिए योग्यता के बारे में बात करें तो आपको एस्ट्रोनॉट बनने के लिए इंजीनियरिंग, बायोलॉजिकल साइंस, फिजिकल साइंस, कंप्यूटर साइंस या फिर गणित में बैचलर डिग्री करनी होगी।
NASA Halloween Picture: नासा ने हैलोवीन के मौके पर एक तस्वीर शेयर की है। जिसमें अंतरिक्ष में धूल और संरचनाओं को देखा जा सकता है।
NASA: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है कि वह अगले साल अक्टूबर में इसी नाम के एक सैटेलाइट की जांच के उद्देश्य से अपने साइके मिशन को लॉन्च करेगी।
NASA James Webb Telescope: पिलर्स ऑफ क्रिएशन के वेब के नए दृश्य को पहली बार 1995 में नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा और फिर 2014 में दोबारा से चित्रित किया गया था। हजारों तारे टिमटिमाते हुए ब्रह्मांड के बीच में खड़े विशाल सोने, तांबे और भूरे रंग के पिलर्स के टेलीस्कोप के पहले शॉट को रोशन करते हैं।
क्रू-4 मिशन को 27 अप्रैल को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च किया गया था। अब इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।
चांद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेमी दूर होता जा रहा है। दरअसल, 1969 में नासा के अपोलो में 11 अभियान मेंचांद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेमी दूर होता जा रहा है। दरअसल, 1969 में नासा के अपोलो 11 अभियान में चंद्रमा पर जो रिफ्लेक्टर्स लगाए गए थे, उनसे इसका पता चला है।
NASA DART Mission: नासा के डार्ट मिशन को सफलता मिल गई है। उसका अंतरिक्ष यान एक उल्कापिंड से टकराया था और उसकी कक्षा बदलने में सफल रहा है।
NASA DART Mission: ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ (डार्ट) के अंतरिक्षयान ने इरादतन डाइमॉरफोस नाम के उल्कापिंड को 26 सितंबर को टक्कर मारी थी। डाइमॉरफोस वास्तव में डिडिमोस नाम के उल्कापिंड का पत्थर था।
NASA DART Mission: चिली के एक टेलीस्कोप द्वारा ली गई एक नई तस्वीर से पता चला कि नासा के ‘डार्ट’ अंतरिक्ष यान ने टक्कर मारकर जो उल्कापिंड तोड़ा था, उसका मलबा स्पेस में हजारों किलोमीटर फैला है।
Artemis-1 Moon Mission: नासा के महत्वाकांक्षी आर्टेमिस-1 मिशन के तहत 27 सितंबर को मून रॉकेट लॉन्च करने की योजना को एक बार फिर से टालना पड़ा था।
America Cyclone Ian:अमेरिका का समुद्री चक्रवात ‘इयान’ ने क्यूबा में दी दस्तक दे दी है। अब यह बहुत तेजी के साथ फ्लोरिडा की ओर चल पड़ा है। ऐसे में लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इसकी न्यूनतम गति करीब 205 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है।
NASA DART Mission: उल्कापिंड डाइमॉरफोस धरती के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन इससे अंतरिक्षयान की टक्कर कराकर ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि क्या भविष्य में उल्कापिंड की टक्कर से धरती को बचाने में मदद मिलेगी।
NASA DART Mission to Save Earth: वैज्ञानिकों के अनुसार अब वाकई धरती खत्म होने वाली है। इसकी वजह दो विशाल उल्का पिंड हैं, जो धरती पर गिरने वाले हैं। इससे धरती पूरी तरह चकनाचूर हो जाएगी। इस धरती पर तब कोई भी सुरक्षित नहीं बचेगा।
NASA Artemis-1 Launching: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तूफान की आशंका के कारण अगले हफ्ते चंद्रमा के लिए अपने रॉकेट के प्रक्षेपण को टालने की घोषणा की है। वर्तमान में कैरेबियाई क्षेत्र में केंद्रित तूफान के आगामी दिनों में और प्रचंड रूप धारण करने की आशंका है।
NASA DART Mission: इस टक्कर से, वैज्ञानिक ये पता लगाएंगे कि अंतरिक्ष में टक्कर के बाद उल्कापिंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अंतरिक्षयान इस घटना की तस्वीरें भी लेगा, जिन्हें लाइव स्ट्रीम के जरिए नासा की वेबसाइट पर शाम 5:30 बजे जारी किया जाएगा।
Mining on Moon: धरती की कोख में सोना, चांदी से लेकर, हीरे-मोती, लोहा, कीमत पत्थर, कोयला, बालू समेत असंख्य रत्न हैं। मगर अब दुनिया भर में तेजी से हो रहे खनन के चलते धीरे-धीरे धरती की कोख खाली होने लगी है। ऐसे में अब इंसानों ने चांद पर खनन करने का रास्ता तैयार किया है।
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