नासा के स्पेसक्रॉफ्ट को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर दूर से स्टेरॉइड का नमूना लेकर अमेरिकी स्पेसक्रॉफ्ट धरती पर लौट रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इसकी दुर्लभ तस्वीर ली है। 24 सितंब को इसके पृथ्वी पर पहुंचने की संभावना है। इससे जीवन के बड़े राज खुल सकते हैं।
भारत का आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे सूर्य के एल-1 कक्षा के करीब पहुंचने के लिए आगे बढ़ रहा है। मगर इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सौर तूफान की सूचना देकर आदित्य एल-1 को नुकसान पहुंचने और मिशन के अधर में पहुंचने की सूचना देकर इसरो को चिंता में डाल दिया है।
NASA ने सूर्य की धधकती हुई तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, हमारे सौर मंडल सबसे बड़ा सूर्य है, जो अपने विशाल आकार और चुंबकीय उपस्थिति से ग्रहों से लेकर धूल तक हर चीज को प्रभावित करता है।
मैक्सिको में एलियंस के कंकाल पेश करने के बाद से पूरी दुनिया हैरान है। नासा के वैज्ञानिकों के सामने इन तथाकथित एलियंस के कंकालों को पेश किया गया। दावा किया जा रहा है कि 3 उंगुली और लंबे सिर वाले ये एलियंस 1000 साल पुराने हैं।
पृथ्वी लोक में अज्ञात उड़न तश्तरियों के रहस्य ने नासा के वैज्ञानिकों के दिमाग को भी घनचक्कर बना दिया है। 1 साल तक बारीकी से अध्ययन के बाद भी इन उड़न तश्तरियों के बारे में वैज्ञानिक कोई सटीक विश्लेषण नहीं दे पाए हैं। हालांकि नासा को यह संकेत मिले हैं कि धरती से बाहर एलियंस मौजूद हैं।
हमारी धरती एक बड़ी तबाही से बच गई। 13 सितंबर को एक खतरनाक एस्टेरॉयड हमारी धरती से टकराने वाला था। इसे लेकर स्पेस एजेंसियां अलर्ट मोड पर थीं। इस बात की जानकारी खुद NASA ने दी है।
नासा ने इस सौरमंडल के सबसे छोटे ग्रह की तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर इतनी सुंदर है कि इसे देखकर आप भी कहेंगे क्या ऐसा भी कोई ग्रह है। ये बिल्कुल चमकते हुए हीरे जैसा दिखता है।
भारत के ISRO की राह पर अमेरिका का NASA भी चलेगा। नासा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर यान उतारेगा। इसके लिए टेस्टिंग शुरू हो गई है। 'नासा' द्वारा चांद पर अंतरिक्ष यान भेजने के लिए एक चंद्रमा रोवर बनाया जा रहा है।
अब नासा ने उस जगह को खोज निकाला है, जहां संभवतः रूस का लूना 25 क्रैश हुआ। नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) स्पेसक्राफ्ट ने चांद पर एक नए क्रेटर को खोजा है।
चंद्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो अब सूर्य के अध्ययन के लिए अपना मिशन भेजने वाला है। सूर्य का अध्ययन करने वाले Aditya L1 मिशन को 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा।
आसमान में 30 अगस्त की रात अनोखी आकाशीय घटना होगी। इस दिन चांद सबसे ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखाई देगा। क्या होता है सुपर ब्लू मून, आप कैसे और कब देख सकेंगे? जानिए पूरी डिटेल्स-
चांद पर लैंडिंग के बाद लैंडर ने चंद्रमा की पहली तस्वीर भी भेज दी है। वहीं, प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर आकर चंद्रमा की जमीन पर पहुंच गया है। अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर अलग-अलग लेवल पर रिसर्च करेंगे।
भारत ने जिस चांद पर आज अपना परचम फहराया है, उसे अमेरिका ने कभी न्यूक्लियर बम से उड़ाने की प्लानिंग कर डाली थी। अगर तब अमेरिका ने चांद पर परमाणु बम विस्फोट कर दिया होता तो आज चांद किस दशा में होता, इसकी कल्पना कर पाना भी मुश्किल होता। अमेरिका का यह सीक्रेट प्लान कामयाब हो गया होता तो इससे पूरी मानवता को खतरा हो सकता था।
चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर ने जैसे ही सॉफ्ट लैंडिंग की, वैसे ही भारत ने स्पेश मिशन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया और देश के साथ-साथ पूरी दुनिया इसकी साक्षी बनी।
चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होते ही पूरी दुनिया भारत को सलाम ठोक रही है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बनने पर बधाई दी। वहीं अमेरिका और यूरोप ने भी शाबाश इंडिया कहकर हौसलाफजाई की। चांद की सतह पर इस उपलब्धि के साथ सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बन गया।
आने वाले समय में इसरो चंद्रयान से भी बड़े मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है। इसमें गगनयान से लेकर सूर्य मिशन तक शामिल हैं।
नासा के मुताबिक इस साल जुलाई महीने में साल 1880 के बाद सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को बताया गया है।
भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। चंद्रयान 3 आज चांद की कक्षा में चांद से कुछ ही दूरी पर होगा। ये कब और कहां लैंड करेगा..जानिए पूरी डिटेल्स-
अगर आप भी चांद-सितारों में दिलचस्पी रखते हैं तो आज की रात आपके लिए खास होने वाली है। 12 अगस्त को उल्कापिंडों की बारिश होगी, जिसे आप खुली आंखों से देख सकेंगे। क्या आप जानते हैं उल्कापिंडों की बारिश क्यों होती है?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आखिरकार दो हफ्ते बाद अपने खोए हुए स्पेसक्राफ्ट वोयाजर-2 से दोबारा संपर्क साथ लिया। गलत कमांड के चलते दो हफ्ते पहले इस स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था।
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