अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच और जेसिका मीर ने शुक्रवार को एक साथ ‘स्पेसवाक’ कर इतिहास रच दिया। आधी सदी में करीब 450 ‘स्पेसवॉक’ में ऐसा पहली बार हुआ, जब केवल महिलाएं ही अंतरिक्ष में चहल-कदमी कर रही थीं और उनके साथ कोई पुरुष अंतरिक्ष यात्री नहीं था।
नासा ने दो तस्वीरें जारी करते हुए बताया है कि भारत के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर ने चांद पर हार्ड लैंडिंग की थी।
ऐसा कहा गया था कि ‘विक्रम’ की हार्ड लैंडिंग के कारण जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ के ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर ली है, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद इससे अब तक संपर्क नहीं हो पाया।
गत सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया। तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से फिर संपर्क स्थापित करने का समय नजदीक आने के साथ, नासा के मून ऑर्बिटर ने चांद के उस हिस्से की तस्वीरें खींची हैं, जहां भारत ने अभियान के तहत सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था।
NASA के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (LRO) अंतरिक्षयान ने चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास , वहां से गुजरने के दौरान कई तस्वीरें ली जहां से विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था।
ब्रेड पिट ने अंतरिक्ष यात्री को देखा तो विक्रम लैंडर के बारे में पूछने से खुद को रोक नहीं पाए।
नासा ने ट्वीट कर कहा कि अंतरिक्ष मुश्किलों से भरा है। हम इसरो के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपकी यात्रा ने हमें प्रेरित किया है
वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे। वह शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के सजीव प्रसारण में शामिल हुए।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के एप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी में अंतरिक्ष वैज्ञानिक ब्रेट डेनेवी ने कहा कि चंद्रयान-2 जहां उतरेगा वह पूरी तरह ऐसा हिस्सा है जिसके बारे में जानकारी नहीं है।
ब्रह्मांड का एक क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) आने वाले समय में धरती के लिए मुसीबत साबित हो सकता है।
नासा के वैज्ञानिक भी इस एस्टेरॉयड को लेकर तैयारियां कर रहे हैं। अगर ये पृथ्वी से टकराया तो बड़े नुकसान की आशंका है लेकिन नासा को ऐसा नहीं लगता कि ये धरती से टकराएगा।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
दुनिया इस साल मानव के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ मना रही है, इसी आलोक में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह एक अन्य कार्यक्रम के तहत इस दिशा में एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल करने को तैयार है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
इतिहास के पन्नों में 20 जुलाई की तारीख एक ऐसी घटना के साथ दर्ज है, जिसने चांद को कवियों की कल्पनाओं और रूमानियत के नफीस एहसास से निकालकर हकीकत की पथरीली जमीन पर उतार दिया।
Lunar Eclipse 2019: जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाएगी। यह आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) होगा जिसे पूरे देश में देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार रात 1 बजकर 31 मिनट से शुरु होगा।
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
नासा के मंगल ग्रह की यात्रा पर गए क्युरोसिटी मार्स रोवर ने इस लाल ग्रह पर मीथेन गैस की अब तक की सबसे बड़ी मात्रा का पता लगाने में सफलता हासिल की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी है।
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