जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के एप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी में अंतरिक्ष वैज्ञानिक ब्रेट डेनेवी ने कहा कि चंद्रयान-2 जहां उतरेगा वह पूरी तरह ऐसा हिस्सा है जिसके बारे में जानकारी नहीं है।
ब्रह्मांड का एक क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) आने वाले समय में धरती के लिए मुसीबत साबित हो सकता है।
नासा के वैज्ञानिक भी इस एस्टेरॉयड को लेकर तैयारियां कर रहे हैं। अगर ये पृथ्वी से टकराया तो बड़े नुकसान की आशंका है लेकिन नासा को ऐसा नहीं लगता कि ये धरती से टकराएगा।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
दुनिया इस साल मानव के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ मना रही है, इसी आलोक में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह एक अन्य कार्यक्रम के तहत इस दिशा में एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल करने को तैयार है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
इतिहास के पन्नों में 20 जुलाई की तारीख एक ऐसी घटना के साथ दर्ज है, जिसने चांद को कवियों की कल्पनाओं और रूमानियत के नफीस एहसास से निकालकर हकीकत की पथरीली जमीन पर उतार दिया।
Lunar Eclipse 2019: जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाएगी। यह आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) होगा जिसे पूरे देश में देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार रात 1 बजकर 31 मिनट से शुरु होगा।
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
नासा के मंगल ग्रह की यात्रा पर गए क्युरोसिटी मार्स रोवर ने इस लाल ग्रह पर मीथेन गैस की अब तक की सबसे बड़ी मात्रा का पता लगाने में सफलता हासिल की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि नासा को यह कहना बंद कर देना चहिए कि वह (नासा) चांद पर जा रहा है।
नासा ने एक बयान में कहा कि चिप पर अंकित इन नामों को रोवर पर भेजा जायेगा। इस रोवर के माध्यम से पहली बार मानव के किसी अन्य ग्रह पर कदम रखने की संभावना प्रबल होगी।
जुलाई महीने में इसरो चांद पर अपना दूसरा स्वदेशी मिशन चंद्रयान -2 भेजने वाला है। इस मिशन में 13 पेलोड होंगे, जिनमें से एक पेलोड अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी है। चंद्रयान- 2 दस साल पहले भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन का एडवांस वर्जन है।
भारत ने 27 मार्च को अपनी अंतरिक्ष क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अपने एक कृत्रिम उपग्रह को उपग्रह रोधी मिसाइल से मार गिराया था। देश के लिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मार्च को घोषणा कर कहा था कि भारत ने ए-सैट की क्षमता के साथ ऐतिहासिक सफलता हासिल कर ली है और अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है।
नासा ने भारत के एंटी-सेटेलाइट मिसाइल (ए-सट) परीक्षण की आलोचना की है और कहा है कि इसने इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन (आईएसएस) में खतरे को बढ़ा दिया है
अमेरिकी स्पेस संस्था नासा ने भारत के 'मिशन शक्ति' अभियान पर मुहर लगा दी है। नासा के प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने सोमवार को नासा के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए भारत की ओर से पांच दिन पहले किए गए टेस्ट का जिक्र किया।
अमेरिका इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के मिशन के लिए भारत के कार्यक्रम पर उसके साथ एक कार्यकारी समूह बनाने को इच्छुक है।
इस अध्ययन में सोमवार को कहा गया कि दुनिया 20 वर्ष पहले की तुलना में अधिक हरी भरी हो गई है।
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