नामवर सिंह सिर्फ एक साहित्यकार या हिंदी साहित्य के आलोचक के रूप में नहीं जाने जाते थे बल्कि वह एक युग थे जिसका आज अंत हो गया। उनकी लेखनी की विशेषता ही उन्हें दूसरे साहित्यकार से अलग करती थी। वह हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक 'हजारी प्रसाद द्विवेदी' के प्रिय शिष्य भी थे।
नामवर सिंह भारतीय किस्म के बौद्धिकों की परंपरा में आखिरी लोगों में से थे, इन लोगों के चले जाने के साथ एक युग के ज्ञान और परंपरा का जीवित प्रमाण भी समाप्त हो रहे हैं।
देश के प्रख्यात और हिंदी साहित्य के आलोचक नामवर सिंह का मंगलवार की रात निधन हो गया। 92 साल के नामवर जी ने आखिरी सांस AIIMS हॉस्पिटल में ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामवर जी की मौत की खबर सुनते ही शोक जताया साथ ही उन्होंने कहा कि 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है।
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