नागालैंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल 1650 सरकारी स्कूल के शिक्षकों के ट्रांसफर और नियुक्ति पर सरकार ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। बता दें कि 10 फरवरी को ट्रांसफर को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
साउथ सुपरस्टार नागा चैतन्य ने परिवार समेत शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। नागा चेतन्य ने इसकी तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की है। इस मौके पर नागा चैतन्य के परिवार ने डॉ. यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद द्वारा लिखित पुस्तक 'अक्किनेनी का विराट व्यक्तित्व' को प्रस्तुत किया।
Maha Kumbh: नागा साधु अब महाकुंभ से लौट रहे हैं, कुछ नागा संत बसंत पंचमी के तुरंत बाद लौट गए जबकि कुछ यहां से सीधे भगवान शिव की नगरी की ओर आज प्रस्थान करेंगे।
साई पल्लवी और नागा चैतन्य अपनी तेलुगु फिल्म 'थंडेल' की रिलीज के लिए तैयार हैं। इसी बीच प्री-रिलीज इवेंट में संदीप रेड्डी वांगा ने खुलासा किया कि वह साई को विजय देवरकोंडा के साथ 'अर्जुन रेड्डी' में कास्ट करना चाहते थे। लेकिन, वह इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाईं।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बसंत पंचमी के अवसर पर हो रहे तीसरे अमृत स्नान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे हुए हैं। सोमवार तड़के से नागा साधुओं ने स्नान करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते संगम तट शंख और भोलेनाथ के जयजयकार से गुंजायमान हो गया।
महाकुंभ में नागा साधु हमेशा चर्चा का विषय रहते हैं। कारण होती है उनकी रहस्यमयी दुनिया और उनका रहन-सहन। कोई नहीं जानता कि वे कुंभ में कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं। ऐसे में आइए उनके बारे में एक और जानकारी देते हैं...
फरवरी 2025 में साउथ कई फिल्में तेलुगु, तमिल, मलयालम और कन्नड़ भाषा में सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इसमें अजित कुमार, नागा चैतन्य, धनुष साई पल्लवी और ममूटी जैसे सितारों की मूवीज शामिल हैं। 'थंडेल' से 'विदामुयार्ची' तक कई फिल्में अगले महीनें बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाएंगी।
Maha Kumbh: नगर प्रवेश की परंपरा नागा संन्यासियों के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है। अफगान आक्रमणकारियों से प्रयाग की रक्षा के बाद, नागा संन्यासियों ने नगर प्रवेश किया और तभी से यह परंपरा जारी है। कुंभ, महाकुंभ और अर्धकुंभ का प्रवेश नागा साधुओं की पेशवाई जिसे अब छावनी प्रवेश कहते हैं, से होता है।
नागा और अघोरी दिखने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन उनकी जीवन शैली उन दोनों को अलग करती है। इसके अलावा, दोनों के खान-पान में भी काफी अंतर है।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान सैकड़ों महिला और पुरुष साधुओं को संन्यास की दीक्षा दी गई। इस दौरान साधुओं ने खुद का पिंडदान किया। जूना अखाड़े ने सौ से ज्यादा महिलाओं को संन्यास की दीक्षा दी, जबकि नीरजनी अखाड़े ने नागाओं का विजया संस्कार किया।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में नागा साधु की दीक्षा लेने के लिए हजारों की संख्या में आवेदन आए हैं। बता दें कि नागा साधु बनने के लिए बहुत ही कठिन परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है।
Mahakumbh 2025: भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा संन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। शायद यही वजह है कि महाकुम्भ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है।
Mahakumbh: महाकुंभ में नागा साधु ने अपनी धुनि रमा ली है। साथ ही दूसरे अमृत स्नान के लिए तैयार हैं, जो मौनी अमावस्या के दिन होना है। ऐसे में आइए जानते हैं उनके प्रमुख अखाड़े के बारे में...
महाकुंभ 2025 में नागा साधु और अघोरी शामिल हो रहे है। मौनी अमावस्या के दिन दोनों अमृत स्नान में शामिल होंगे। दोनों शिव जी के उपासक होते हैं जबकि इनकी पूजा करने की विधि में बड़ा अंतर है...
क्या कभी आपने सोचा कि नागाओं की पहचान कैसे होती है? अगर नहीं तो हम आपको यहां ये खास जानकारी देने जा रहे हैं जिसमें आपको हम बताएंगे कि कैसे स्थान के मुताबिक दीक्षा लेने वालों की पहचान होती है।
महाकुंभ में नागा साधुओं ने अलग ही रौनक बढ़ा रखी है। उनकी रमाई धूनी, चिमटा और भजन देखते ही बन रहा है। ऐसे में लोगों को जानना है कि क्या नागा साधुओं में श्रेणियां होती हैं...
महाकुंभ में इन दिनों कई अनोखे बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। किसी ने हठ योग कर रखी है तो किसी ने कुछ और। ऐसे ही एक बाबा हैं जिन्हें महाकुंभ में एम्बेसडर वाले नागा बाबा कहा जा रहा है, आइए जानते हैं कौन हैं ये बाबा...
माना जाता है कि बाह्मण कुल में जन्म लिए हर एक ब्राह्मण का गोत्र होता है। ऐसे में जो साधु-संत या नागा साधु बन जाते हैं, वे अपने कुल, गोत्र आदि का त्याग कर देते हैं, ऐसे में इनका भी एक गोत्र होता है।
महाकुंभ में चर्चा का केंद्र बने नागा साधुओं काफी पुराना इतिहास है। इस इतिहास में नागाओं के कई शौर्य गाथा का जिक्र है। इनमें से एक है जब मात्र 111 नागा साधुओं ने 4000 अफगानी सेना को खत्म कर दिया था।
Mahakumbh 2025: नागा साधु अपने हाथ में अस्त्र-शस्त्र लेकर क्यों चलते हैं, उनकी जीवन शैली दूसरे संतों से अलग क्यों है, वो वस्त्र क्यों नहीं पहनते। जानिए इन सभी सवालों के जवाब, जो खुद महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती ने बताई।
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