भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का ग्रामीणों ने विरोध किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाड़ लगाने से जमीन का एक बड़ा हिस्सा छूट जाएगा। इससे सीमा के पास रहने वाले ग्रामीण अपनी आजीविका के एकमात्र स्रोत से वंचित हो जाएंगे।
बता दें कि मिजोरम से भेजे गए इन सैनिकों को मिलाकर पिछले साल के नवंबर से लेकर अब तक म्यांमार सेना के कुल 635 जवानों को उनके देश वापस भेजा गया है।
मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
बीते सप्ताह म्यांमार से कुल 184 सैनिक भागर मिजोरम पहुंच गए थे। सोमवार यानी 22 जनवरी को भारत ने इनमें से 184 सैनिकों को उनके देश वापस भेज दिया है।
गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत-म्यामार की सीमा पर बाड़बंदी करने की बात कही थी। मिजोरम के सीएम ने इसका विरोध जताया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि वह इसे रोक नहीं सकते हैं।
मिजोरम में म्यांमार के 600 सैनिक घुस आए हैं, जिसे लेकर मिजोरम की सरकार ने केंद्र सरकार को सतर्क किया है और गुहार लगाई है कि इन्हें जल्द-से-जल्द वापस भेज दें। जवानों को फिलहाल असम राइफल्स कैंप में आश्रय दिया गया है।
मिजोरम की लालदुहोमा सरकार केंद्र के सहयोग से म्यांमा के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को मदद देना जारी रखेगी। मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मीटिंग के बाद ये बात कही।
म्यांमार की सेना ने दुश्मनों के सामने हथियार डाल दिया है। म्यांमार की सरकार ने बताया है कि चीन सीमा से लगे उसके एक शहर पर दुश्मनों ने कब्जा कर लिया है। इसके बाद उसने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है।
म्यांमार में सैनिक शासन लागू होने के बाद से मिजोरम आए शरणार्थियों की समस्या पर आज दिल्ली स्थित गृह मंत्रालय में एक बैठक के दौरान चर्चा हुई। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हालात समान्य होने तक शरणार्थियों को वापस म्यांमार नहीं भेजा जाएगा।
भारत के मिजोरम में तैनात असम राइफल्स के कैम्प में म्यांमार के 151 सैनिकों ने शरण ली है। इन सैनिकों ने किसी तरह से म्यांमार से भागकर अपनी जान बचाई है। म्यांमार में इन सैनिकों पर स्थानीय गुटों ने हमला कर दिया था।
भारत का एक पड़ोसी देश दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश बन गया है। अफीम के कारोबार से होने वाली आमदनी इस देश की जीडीपी का 4.1 प्रतिशत है। पहले अफगानिस्तान पहले नंबर पर था।
कपिल सिब्बल ने इस हफ्ते की शुरुआत में नागरिकता मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि असम कभी म्यांमार का हिस्सा था, जिसके बाद लोगों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी।
भारत अपनी सीमा पर सुरक्षा को लेकर हमेशा सजग रहा है। भारत की सीमाओं पर प्रहरी दिन रात पहरा देते हैं। इसी बीच बॉर्डर पर अशांति को लेकर भारत चिंतित है। पड़ोसी मुल्क के साथ भारत ने बॉर्डर पर अशांति को लेकर अपनी चिंता जताई है।
म्यांमार सेना द्वारा हाल ही में किए गए हवाई हमले के बाद अपने देश से भागे म्यांमार के नागरिक अब चम्फाई जिले के ज़ोखावथर इलाके में शरण ले रहे हैं। इस हमले के बाद शरणार्थियों में बेहद खौफ है। शरणार्थियों का कहना है कि म्यांमार की सेना ने गांव के लगभग सभी घरों को जला दिया और उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया।
लगातार गोलीबारी के बीच म्यांमार सेना के 29 और सैनिक तियाउ नदी पार कर मिजोरम की तरफ भाग निकले हैं। उन्होंने मिजोरम के चम्फाई में शरण ली। तियाउ नदी भारत और म्यांमार के बीच सीमा का कार्य करती है।
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के बाद अब म्यामांर में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.7 मापी गई है। इस भूकंप के झटके म्यामार के पड़ोसी देश थाईलैंड और लाओस में भी महसूस किए गए।
म्यांमार में फिर हालात बिगड़ने लगे हैं। सेना और लोकतंत्र समर्थकों के बीच संघर्ष की वजह से ये हालात बिगड़ रहे हैं। वहां फिर से लोकतंत्र समर्थ फोर्स और सेना के बीच जंग छिड़ गई है। लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस ने इसे 'ऑपरेशन 1027' नाम दिया है।
म्यांमार सेना व विद्रोही गुटों में गोलीबारी हुई है, जिस कारण सेना के कुछ जवान सहित 5000 लोगों ने भारत में शरण ली है। हालांकि, बॉर्डर क्रास करते ही म्यांमार सेना के जवानों से खुद को भारतीय सेना के हवाले कर दिया।
म्यांमार की मिलिशिया समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने सीमा के पास खावमावी और रिहखावदार में दो सैन्य ठिकानों पर हमला कर के कब्जा कर लिया था। इसके बाद म्यांमार की सेना ने जवाबी कार्रवाई और भीषण हमले किए।
सोमवार 23 अक्टूबर को भी म्यांमार में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
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