बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में महिला कांवरियों के ऊपर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किए कथित पथराव के चलते स्थिति तनावपूर्ण है।
एक 3 महीने के बच्चे की तस्वीर वायरल हुई है, जो बाढ़ के पानी के बीचों-बीच डूबा हुआ नजर आ रहा है। इस तस्वीर के जरिए बिहार सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
आईएमए के एक दल ने कहा है कि बिहार के मुजफ्फ़रपुर में ऐन्सेफ्लाइटिस बीमारी से होने वाली मौतों में ‘‘लीची’’ को खाना मुख्य वजह नहीं है क्योंकि इससे नवजात भी प्रभावित हुये हैं।
बिहार के कुछ जिलों में चमकी बुखार यानि AES से लगातार हो रही मौतों के मामले में केंद्र और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री परेशानियों में घिरते दिखाई दे रहे हैं।
बिहार इस समय चमकी बुकार से पीडि़त है। राज्य में इस भीषण बीमारी से सवा सौ से अधिक बच्चों को जान गंवानी पड़ी है। लेकिन इस गमगीन माहौल में भी नेता अपनी राजनीति चमकाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने रविवार को कहा कि चमकी बुखार से प्रभावित बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 100 बिस्तरों वाली ‘शिशु-गहन चिकित्सा इकाई’ (पी-आईसीयू) के स्थान और डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। रविवार सुबह तक मिली जानकारी के मुताबिक, मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 129 हो गई है।
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को इलाज मुहैया कर रहे यहां स्थित श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को घुसने की इजाजत नहीं दी गई
बिहार के मुजफ्फरपुर में श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) के पिछे मानव कंकाल के अवशेष मिलने से हड़कंप मच गया है। इस मामले के बाद अस्पताल प्रशासन एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गया है।
जिन कैमरों के जरिए अस्पताल का सच बाहर आया करता था उन कैमरों के लिए चारों तरफ अब पहरा बैठा दिया गया है। मुजफ्फरपुर में पत्रकारों से अस्पताल वालों को परहेज है और पटना में सरकार को।
बिहार के 16 जिलों में मस्तिष्क ज्वर से इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं जिनमें से 136 की मौत हो गई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
मुजफ्फरपुर में एईएस के कारण बच्चे मर रहे हैं। पिछले 20 दिनों में अबतक 118 बच्चों की मौत हो चुकी है।
बिहार इनसेफेलाइटिस (चमकी बुखार) से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य के मुजफ्फरपुर और निकट के जिलों में अब तक 136 बच्चों की मौत हो चुकी है।
बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार से मरनेवालों बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अबतक 131 बच्चों की मौत हो चुकी है।
नीतीश ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर का दौरा किया था और इसके बाद सरकार ने जिन ब्लॉकों और गांवों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं, उनमें प्रभावित परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उनके जीवन-यापन की परिस्थितियोंका अध्ययन करने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया था।
मुजफ्फरपुर के दो बड़े हॉस्पिटल SKMCH और केजरीवाल अस्पताल में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों का इलाज हो रहा है। इस बीच हैरान करने वाली बात ये है कि सूबे के सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक सबने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की वजह से हो रही बच्चों की मौत के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार कहे जाने वाले अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से से अभी तक 108 बच्चों की मौत की खबर है।
हालात से निपटने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीती शाम आला अधिकारियों और मंत्रियों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की। इस मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए गए।
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