माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से मुंबई और आसपास के इलाकों के उन लाखों शहरी गरीबों को सपना साकार होगा जो अपने सिर पर एक छत चाहते हैं।
मुंबई महानगर क्षेत्र में अगस्त के अंत में साढ़े तीन लाख से ज्यादा नव निर्मित मकानों को खरीदार का इंतजार था।
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