दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन अभी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा से हटने को राजी नहीं है। किसान आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर इंडिया टीवी ने बात की किसान नेता राकेश टिकैत से।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए लेकिन किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ। अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अब संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं को क्या चाहिए? अब आंदोलन खत्म क्यों नहीं हो रहा है? लेकिन किसान नेता अब MSP को इश्यू बनाकर दिल्ली के बॉर्डर्स का घेराव कर रहे हैं। क्या किसान अपने आंदोलन से यूपी पर दांव लगाना चाह रहे हैं? देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
लखनऊ के बंगला बाजार के इको गार्डन पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे।
'देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा।'
समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री भी शामिल होंगे।
पिछले साल के लिये धान खऱीद से 1.31 करोड़ किसानों को फायदा मिला और एमएसपी मूल्य पर कुल 1.68 लाख करोड़ रुपये की धान की खरीद की गयी।
पांडे ने कहा, ‘‘हम नुकसान को कम-से-कम करने के लिये मंडियों को आधुनिक रूप देने का प्रयास कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि भंडारण के दौरान नुकसान कम होकर 0.003 प्रतिशत पर आ गया है
किसानों के लिए जमीन का मालिक होना या न होना जरूरी नहीं है। अगर किसानों ने किसी भी जमीन पर खेती की है, तो उसे खरीद लिया जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार सरसों के समर्थन मूल्य में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है
मौजूदा रबी विपणन सत्र के दौरान 49.20 लाख किसानों को खरीदा का लाभ मिला है। इस दौरान किसानों को 85,603.57 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया।
किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितता का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया और सीबीआई जांच की मांग की।
85,483.25 करोड़ रुपये की एमएसपी के साथ चालू रबी विपणन वर्ष की खरीद से लगभग 49.07 लाख किसानों को लाभ मिला है।
ओडिशा सरकार ने धान के लिये घोषित 1,940 रुपये क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर असंतोष जताया
केंद्र ने बुधवार को कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए मौजूदा विपणन वर्ष में अब तक रिकॉर्ड 418.47 लाख टन गेहूं खरीदा है जिसपर 82,648 करोड़ रुपए खर्च हुये हैं।
खरीफ विपणन मौसम 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दे दी है।
गेहूं की खरीद 27 मई तक 400.45 लाख टन की हो चुकी है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 353.09 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 400.45 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जिसकी लागत 79,088 करोड़ रुपये आई है।
हरियाणा में भी, एमएसपी का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जा रहा है। अब तक 4,668 करोड़ रुपये हरियाणा के किसानों के खातों में डाले जा चुके हैं।
केन्द्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद बादल ने यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार का कहना है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद में किसानों की जमीन का रिकॉर्ड दाखिल करने और ऑनलाइन भुगतान होने से पारदर्शिता आएगी और असली किसानों को फायदा मिलेगा। लेकिन पंजाब सरकार आगामी रबी सीजन में जमीन के रिकॉर्ड दाखिल करने की अनिवार्यता लागू करने को तैयार नहीं है।
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