यह बढ़ोतरी मोदी सरकार के अबतक के टेन्योर में सबसे ज्यादा है। मार्केटिंग ईयर 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है।
कांग्रेस ने खरीफ फसलों की MSP में बढ़ोत्तरी के सरकार के फैसले को लेकर उस पर निशाना साधते हुए कहा है कि सिर्फ एमएसपी बढ़ाने का एलान होता है, फसलों की खरीद नहीं होती।
MSP Rate Rice: किसानों के लिए केंद्र सरकार ने शानदार तोहफा दिया है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। आइए इस बार किन फसल की कीमतों में बदलाव किया गया है जानते हैं।
किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पंजाब और हरियाणा के सैकड़ों किसानों ने शनिवार को चंडीगढ़ में संबंधित राज्यों के राजभवन की ओर मार्च किया और अलग से ज्ञापन सौंपा।
सरसो का MSP 400 रुपये से बढ़कर 5450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। वहीं, कुसुम का MSP 209 रुपये से बढ़कर 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
MSP Rate: पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु में चल रहे खरीफ मार्केटिंग सीजन 2022-23 में कुल 1,16,761 किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,356.30 करोड़ रुपये से लाभ हुआ है।
Congress On MSP: कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह सरकार की ‘‘जन विरोधी नीतियों’’ का विरोध करती है और किसानों की उपज के वास्ते MSP सुनिश्चित कराने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेगी।
SKM Meeting In Ghaziabad: किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर एसकेएम फिर से आंदोलन करने की तैयारी में है। इसे लेकर योजना पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्च ने कल यानी 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बैठक बुलाई है।
कृषि मंत्रालय से जारी एक बयान में यह कहा गया कि इस साल किसानों ने अधिक दर पर निजी व्यापारियों को गेंहू की बिक्री कर लगभग 5,994 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है।
महंगाई के बीच किसानों को राहत देते हुए सरकार ने 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला किया है। तिल की एमएसपी में 523 रुपये और तुअर दाल में 300 रुपये की बढ़ोत्तरी
लगभग एक साल तक चले किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों से एमएसपी गारंटी कानून को लेकर कमेटी बनाने का वादा किया था।
बैठक में लखीमपुर खीरी कांड में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर इस बात पर चिंता जताई गई पुलिस प्रशासन और अभियोक्ता सब मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
किसान आंदोलन ख़त्म हो रहा है। बातचीत शुरु हो रही है। अब किसान और मोदी सरकार एक लाइन पर दिख रही है। 7 दिसम्बर को Good न्यूज़ आ सकती है। किसान वापस जा सकते हैं। किसानों के खेमे से ख़बर आ रही है। कि अब ना तो मोदी के खिलाफ..न सरकार के खिलाफ और न बीजेपी के खिलाफ कोई रैली निकलेगी। और न कोई विरोध प्रदर्शन होगा। राहुल को इसकी भनक लग गई है। इसलिए वो अभी भी किसानों के बहाने मोदी मोदी कर रहे हैं।
किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। जो अब सरकार से MSP समेत हर इश्यू पर बात करेगी। मतलब अब बातचीत से ही समाधान की तरफ बढ़ा जा रहा है। आज संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बहुत बड़ी बैठक हुई। इसी में कमेटी के पांच नाम तय हुए। आज इसी मुद्दे पर देखिए सबसे बड़ी बहस कुरूक्षेत्र।
आज संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बहुत बड़ी बैठक हुई। 40 से ज्यादा किसान संगठन इसमें शामिल हुए। सरकार से बात करने के लिए 5 लोगों की किसान कमेटी बनाने का फैसला हुआ। इसमें बड़ी बात ये कि किसान नेता राकेश टिकैत का नाम इस कमेटी में नहीं है| देखिए मुक़ाबला मीनाक्षी जोशी के साथ।
कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में किसान आंदोलन खत्म करने पर फैसला हो सकता है क्योंकि पंजाब के ज्यादातर किसान संगठन तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद अब आंदोलन जारी रखने के मूड में नहीं हैं।
SKM ने एक बयान में कहा था कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि MSP गारंटी कानून पर सरकार आनाकानी कर रही है अगर सरकार ने उनकी सभी मांग नहीं मानी तो फिर से ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन अभी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा से हटने को राजी नहीं है। किसान आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर इंडिया टीवी ने बात की किसान नेता राकेश टिकैत से।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए लेकिन किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ। अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अब संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं को क्या चाहिए? अब आंदोलन खत्म क्यों नहीं हो रहा है? लेकिन किसान नेता अब MSP को इश्यू बनाकर दिल्ली के बॉर्डर्स का घेराव कर रहे हैं। क्या किसान अपने आंदोलन से यूपी पर दांव लगाना चाह रहे हैं? देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
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