भारत ने अंतरिक्ष में सफलता की नई इबारत लिख दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 को शनिवार को चांद की कक्षा में स्थापित करा दिया है। अब आगामी 23, 24 अगस्त को यह चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर लैंडर के साथ उतरेगा। इसके बाद भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा। इसरो के इस मिशन का बजट पूरी दुनिया में सबसे कम है। बता दें कि इससे पहले 2019 में इसरो का एक मिशन फेल हो चुका है।
दो दिन बाद यानी 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3(Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग होगी। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि आखिर हमारी पृथ्वी से मून तक की दूरी कितनी है।
चांद की सतह पर कदम रखने वालों के बारे में आपको तो पता ही होगा। चांद पर पहली बार नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कदम रखा था। जिसके बाद कई लोगों ने चांद पर अपना कदम रखा। उनमें से दो लोगों का चांद पर कदम रखने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
आसमान में अगर आपने अबतक चांद को नहीं देखा है तो अब देख लीजिए। आज चांद चमकीला और बड़ा दिख रहा है। आज के इस चांद का संबंध हिरण के सींग से भी है। जानकर होंगे हैरान।
क्या आपने कभी सोचा है कि चांद को मामा ही क्यों कहा जाता है। इसके एलावा कुछ और क्यों नहीं कहा जाता है।
नया क्षुद्रग्रह यानी एस्टेरॉयड है, जिसका नाम 2023 FW13 है। यह हमारी पृथ्वी का 2100 साल पुराना साथी है जो हमारी धरती के साथ ही सूर्य के चक्कर लगाता है।
आज की रात यानी 24 मई की रात खास होने वाली है। आप रात में चंद्रमा-मंगल और शुक्र तीनों ग्रहों को एक साथ देख सकेंगे। ये दुर्लभ नजारा सालों-साल बाद दिखाई देगा।
मई के महीने में आपको आसमान में बेहद अद्भुत नजारे दिखेंगे जो आपने पहले कभी नहीं देखें होंगे। नासा ने इसे लेकर खास तारीखें जारी की हैं और बताया है किस दिन आप क्या देख सकेंगे। तो हो जाईए तैयार-
नासा ने चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की है, जो एक साथ चांद पर जाएंगे। इन चारों में अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच हैं, जो चंद्रमा पर जाने वाली पहली महिला होंगी।
आज आसमान में अद्भुत नजारा दिखा। चमकीले चांद के नीचे आकर वीनस छुप गया। ऐसा नजरा आपने कभी नहीं देखा होगा। कई लोगों ने इसे कैमरे में कैद कर लिया।
Lunar New Year Celebrated in China: क्या आपने कभी चंद्र नववर्ष के बारे में सुना है, यह किस देश में, कब और क्यों मनाया जाता है। अगर आप नहीं जानते तो आइए आपको हम बताते हैं कि चंद्र नववर्ष कहां और कब मनाया जाता है? दरअसल चंद्र नववर्ष चीन में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है,जिसे कोविड के चलते कई वर्षों से रोक दिया गया।
NASA Moon Mission: नासा अपने मून मिशन के एक कदम और करीब पहुंच गया है। उसका ओरियन कैप्सूल चंद्रमा तक पहुंचा है। 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है, जब कोई कैप्सूल चंद्रमा तक गया है।
देश के पूर्वी भाग में स्थित शहरों कोलकाता एवं गुवाहाटी में चंद्रोदय के समय ग्रहण की पूर्णावस्था चल रही होगी। कोलकाता में चंद्रोदय के समय से लेकर पूर्णावस्था के अंत तक की अवधि 20 मिनट की होगी तथा चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंत तक की अवधि 1 घंटा 27 मिनट की होगी।
Moon Lighting: आखिर मून लाइटिंग क्या है। क्या कभी आपने इसके बारे में सुना है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) एन गणपति सुब्रमण्यम ने कहा है कि ‘मूनलाइटिंग’ करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चांद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेमी दूर होता जा रहा है। दरअसल, 1969 में नासा के अपोलो में 11 अभियान मेंचांद हर साल पृथ्वी से 3.8 सेमी दूर होता जा रहा है। दरअसल, 1969 में नासा के अपोलो 11 अभियान में चंद्रमा पर जो रिफ्लेक्टर्स लगाए गए थे, उनसे इसका पता चला है।
Moon Lighting: क्या मून लाइटिंग के बारे में आपने कभी सुना है। नाम से तो यह भी कैंडिल लाइटिंग जैसा ही आपको कुछ लग रहा है। क्या मून लाइटिंग भी कैंडिल लाइटिंग जैसी कोई रोमांस से जुड़ी चीज है, जिसे लेकर आज देश भर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं या फिर ये कुछ और है।
Mining on Moon: धरती की कोख में सोना, चांदी से लेकर, हीरे-मोती, लोहा, कीमत पत्थर, कोयला, बालू समेत असंख्य रत्न हैं। मगर अब दुनिया भर में तेजी से हो रहे खनन के चलते धीरे-धीरे धरती की कोख खाली होने लगी है। ऐसे में अब इंसानों ने चांद पर खनन करने का रास्ता तैयार किया है।
World News: वैसे तो चीन हर प्रयोग अपना गोपनीय रखता है। वो मसला अंतरिक्ष से जुड़ा हो या डिफेंस अपने काम को काफी ही छिपाकर रखता है। हालांकि इस बार चीनी वैज्ञानिकों ने एक नया किर्तीमान स्थापित कर दिखाया है।
India's Moon Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने एक ऐसी तकनीकि ईजाद की है जिससे कि अब हर अंतरिक्ष यानि की सुरक्षित लैंडिंग की जा सकेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2019 में मिशन मून-2 की चंद्रमा पर लैंडिंग कराते समय लैंडर के भटक जाने के बाद सबक लेते हुए यह तकनीकि विकसित करने में सफलता पाई है।
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