भारत ने अंतरिक्ष में सफलता की नई इबारत लिख दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 को शनिवार को चांद की कक्षा में स्थापित करा दिया है। अब आगामी 23, 24 अगस्त को यह चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर लैंडर के साथ उतरेगा। इसके बाद भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के लिए आज का दिन अहम है। चंद्रयान-3 आज शाम चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा।
शायद यह सवाल आपके मन में कभी आया ही न हो कि यदि किसी की मौत अंतरिक्ष मिशन के दौरान पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा या मंगल ग्रह पर हो जाती है तो उसके मृत शरीर का क्या किया जा सकता है। 21वीं सदी में दुनिया तेजी से चंद्रमा, मंगल और अंतरिक्ष मिशन पर जा रही है। ऐसे में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा अहम मुद्दा है।
चंद्रयान-3 हमारी धरती की कक्षा से बाहर निकल गया है। परिक्रमा लगाने के बाद अब वह चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचेगा। इसके बाद अगला पड़ाव चंद्रमा होगा। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर लैंडिंग करेगा।
चंद्रयान-3 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा। इसरो के इस मिशन का बजट पूरी दुनिया में सबसे कम है। बता दें कि इससे पहले 2019 में इसरो का एक मिशन फेल हो चुका है।
दो दिन बाद यानी 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3(Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग होगी। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि आखिर हमारी पृथ्वी से मून तक की दूरी कितनी है।
चांद की सतह पर कदम रखने वालों के बारे में आपको तो पता ही होगा। चांद पर पहली बार नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कदम रखा था। जिसके बाद कई लोगों ने चांद पर अपना कदम रखा। उनमें से दो लोगों का चांद पर कदम रखने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
आसमान में अगर आपने अबतक चांद को नहीं देखा है तो अब देख लीजिए। आज चांद चमकीला और बड़ा दिख रहा है। आज के इस चांद का संबंध हिरण के सींग से भी है। जानकर होंगे हैरान।
क्या आपने कभी सोचा है कि चांद को मामा ही क्यों कहा जाता है। इसके एलावा कुछ और क्यों नहीं कहा जाता है।
नया क्षुद्रग्रह यानी एस्टेरॉयड है, जिसका नाम 2023 FW13 है। यह हमारी पृथ्वी का 2100 साल पुराना साथी है जो हमारी धरती के साथ ही सूर्य के चक्कर लगाता है।
आज की रात यानी 24 मई की रात खास होने वाली है। आप रात में चंद्रमा-मंगल और शुक्र तीनों ग्रहों को एक साथ देख सकेंगे। ये दुर्लभ नजारा सालों-साल बाद दिखाई देगा।
मई के महीने में आपको आसमान में बेहद अद्भुत नजारे दिखेंगे जो आपने पहले कभी नहीं देखें होंगे। नासा ने इसे लेकर खास तारीखें जारी की हैं और बताया है किस दिन आप क्या देख सकेंगे। तो हो जाईए तैयार-
जापान की एक कंपनी का अंतरिक्ष यान बुधवार को चंद्रमा पर उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे के कारण यान से संपर्क टूट गया और उड़ान नियंत्रक यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं कि आखिर वहां हुआ क्या।
अब बृहस्पति के चंद्रमाओं पर भी जीवन की खोज के लिए लगातार परीक्षण और तैयारियां की जा रही हैं। इसी कड़ी में यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी आज ‘जूस‘ मिशन को लॉन्च करने जा रही हैै। ‘जूस‘ का अर्थ है ‘ज्यूपिटर आईसी मून्स एक्सप्लोरर‘।
नासा ने चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की है, जो एक साथ चांद पर जाएंगे। इन चारों में अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच हैं, जो चंद्रमा पर जाने वाली पहली महिला होंगी।
आज आसमान में अद्भुत नजारा दिखा। चमकीले चांद के नीचे आकर वीनस छुप गया। ऐसा नजरा आपने कभी नहीं देखा होगा। कई लोगों ने इसे कैमरे में कैद कर लिया।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। चंद्रयान के बाद भारत ने अब 2023 में गगनयान समेत कई अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो 3 मानवों के साथ अंतरिक्ष में गगनयान भेजने की योजना तैयार कर रहा है।
Lunar New Year Celebrated in China: क्या आपने कभी चंद्र नववर्ष के बारे में सुना है, यह किस देश में, कब और क्यों मनाया जाता है। अगर आप नहीं जानते तो आइए आपको हम बताते हैं कि चंद्र नववर्ष कहां और कब मनाया जाता है? दरअसल चंद्र नववर्ष चीन में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है,जिसे कोविड के चलते कई वर्षों से रोक दिया गया।
NASA Moon Mission: अभी तक आपने मानवों के चांद पर उतरने का इतिहास ही पढ़ा रहा होगा, लेकिन क्या आप कभी चांद का चक्कर लगाने की परिकल्पना भी कर सकते हैं। शायद यह परिकल्पना बेहद रोमांचक है, लेकिन नामुमकिन सी लगती है। मगर मानव न ही सही, नासा के वैज्ञानिकों के कमाल से एक अंतरिक्ष यान चांद का चक्कर लगा आया है।
NASA Moon Mission: नासा अपने मून मिशन के एक कदम और करीब पहुंच गया है। उसका ओरियन कैप्सूल चंद्रमा तक पहुंचा है। 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है, जब कोई कैप्सूल चंद्रमा तक गया है।
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