भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि यह प्रक्रिया अपराह्न 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई और एक बजकर 15 मिनट पर ऑर्बिटर से ‘विक्रम’ अलग हो गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि मंगलवार को चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करते समय हमारे दिल की धड़कनें लगभग थम सी गई थीं।
इसरो के मुताबिक ये स्टेज मिशन के सबसे मुश्किल स्टेज में से एक था क्योंकि अगर सेटेलाइट चंद्रमा पर तेज गति वाले वेग से पहुंचता, तो वो इसे उछाल देता और ऐसे में वो गहरे अंतरिक्ष में खो जाता ।
चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं - ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'। ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा कर शोध को अंजाम देगा। वहीं, लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्सा बनेगा।
दुनिया इस साल मानव के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ मना रही है, इसी आलोक में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह एक अन्य कार्यक्रम के तहत इस दिशा में एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल करने को तैयार है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च करने जा रही है।
इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन करना है। आइए आपको बताते हैं चंद्रयान-2 से भारत को होंगे क्या फायदे।
स्पूतनिक ने कहा, "चंद्रयान-2 की कुल लागत करीब 12.4 करोड़ डॉलर है जिसमें 3.1 करोड़ डॉलर लांच की लागत है और 9.3 करोड़ डॉलर उपग्रह की। यह लागत एवेंजर्स की लागत की आधी से भी कम है। इस फिल्म का अनुमानित बजट 35.6 करोड़ डॉलर है।"
isro moon mission Chandrayaan-2 launch at 2:43 pm on Monday July 22, 2019 । 22 जुलाई को Chandrayaan-2 को किया जाएगा लॉन्च, ISRO ने ठीक की खामी
बताया जा रहा है अगर जुलाई में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टल जाता है तो फिर सितंबर या अक्टूबर में ऐसा संभव हो पायेगा। इसकी वजह लांच विंडो का सही समय है।
इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन करना है। आइए आपको बताते हैं चंद्रयान-2 से भारत को होंगे क्या फायदे।
भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च करने जा रही है।
भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 से इतिहास रचने की कोशिश कर रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कहा कि वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में यान का प्रक्षेपण करने की कोशिश करेगा।
चांद पर उतरने के इजराइल के प्रयास की विफलता के बाद इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है।
चांद पर उतरने से महज कुछ ही क्षण पहले इज़राइल के अंतरिक्ष यान का पृथ्वी से संपर्क कट गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैन्सन अगले चार-पांच महीने में अपने वर्जिन गैलेक्टिक अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं।
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने घोषणा की कि यान चांग‘ई 4 ने चंद्रमा की दूसरी ओर की सतह को छुआ और तस्वीरें भेजीं।
रोस्कोस्मोस अंतरिक्ष एजेंसी के हेड दिमित्री रोगोजिन ने शनिवार को कहा कि हमने ये सत्यापित करने के लिए एक उपकरण तैयार किया है कि अमेरिकी चांद पर गए भी थे या नहीं।
फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (पीआरएल) ने भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 के लिए तीन पेलोड विकसित किए है और चंद्रयान-1 के बरखिलाफ इस बार इसमें एक ऑरबाइटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा।
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