NASA Artemis 1: नासा के महत्वाकांक्षी नये मून राकेट (Artemis 1) के प्रक्षेपण की अंतिम तैयारियों के दौरान ईंधन के रिसाव और संभावित दरार का पता चलने से इसका सोमवार सुबह निर्धारित लॉन्च टाल दिया गया।
Moon Mission: इसमें 322 फीट लंबा 2600 टन वजन वाला लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट होगा। यह रॉकेट आज पहले लिफ्टआफ के लिए तैयार है।
NASA Moon Mission: नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने चांद पर पार्किंग की जगह खोजी है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि जब चांद पर कोई रहता नहीं तो यहां पार्किंग करने की जरूरत भला किसको पड़ेगी।
आज तक, सैटेलाइट और रॉकेटों के मलबे से पृथ्वी की सतह (या वायुमंडल में हवाई यातायात) को नुकसान पहुंचने की संभावना को नगण्य माना गया है। ऐसे अंतरिक्ष मलबे के अधिकांश अध्ययनों ने निष्क्रिय सैटेलाइट द्वारा कक्षा में उत्पन्न जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है, जो कार्यशील सैटेलाइट के सुरक्षित संचालन में बाधा डाल सकता है।
यहां चट्टानों के सैंपल लेने के बाद नील और बज अपने अंतरिक्षयान की तरफ बढ़ गए थे। उन्हें अगले एक घंटे में वापस धरती के लिए रवाना होना था। जब नील को अपने अंतरिक्षयान की तरफ जाना था, तभी उन्हें एक और काम याद आया।
अमेरिका ने चंद्रमा के लिए जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों का अंतिम चयन कर लिया है। इनमें भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राजा चारी भी हैं। 2024 में जाने वाले 18 सदस्यीय दल में महिलाएं भी शामिल हैं।
चंद्रमा की सतह से पत्थरों के नमूने लेकर धरती के लिए रवाना हुए चीन के चांग-5 अंतरिक्ष यान ने सोमवार को पहला ‘ऑर्बिटल करेक्शन’ पूरा किया। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने यह घोषणा की।
चीन का चंद्रयान ‘चांग ई 5’ चांद की सतह से नमूने एकत्रित करने का काम सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है और अब वह धरती पर आने को तैयार है। चीन सरकार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 को लांच करेगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान पर चंद्रयान-2 से भी कम लागत आएगी।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसरो के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर ट्वीट की है। तस्वीर में नासा ने उस स्पॉट को दिखाया है जहां पर लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा कि भारत अगले साल संभवत: नवंबर में एक बार फिर चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास कर सकता है।
ऐसा कहा गया था कि ‘विक्रम’ की हार्ड लैंडिंग के कारण जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ के ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर ली है, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद इससे अब तक संपर्क नहीं हो पाया।
गत सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया। तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तथ्यों के मुताबिक पिछले छह दशक में शुरू किए गए चंद्र मिशन में सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत रहा है।
वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे। वह शुक्रवार को नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के सजीव प्रसारण में शामिल हुए।
लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था। इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था।
चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद पर भेजे गए विक्रम लैंडर का संपर्क भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों से लैंडिंग से पहले टूट गया है। इस पूरे मिशन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के कंट्रोल सेंटर से देश को संबोधिति किया।
एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।
लैंडर विक्रम से मिले आंकड़ों की समीक्षा की जा रही है। मॉरीशस और मैड्रिड में लैंडर विक्रम के भेजे गए संदेश भी मिले थे लेकिन इसरो इनकी समीक्षा कर रहा है। इस पूरे मिशन में अभी भी एक बहुत ही पावरफुल सैटेलाइट आर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर लगा रही है जो चांद पर कई तरह के प्रयोग करने में सक्षम है।
चांद पर चंद्रयान 2 भेजकर भारत इतिहास रचने जा रहा है और दुनियाभर में भारत ऐसा चौथा देश होगा जो यह उपलब्धि प्राप्त करेगा।
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