लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था। इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था।
चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद पर भेजे गए विक्रम लैंडर का संपर्क भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों से लैंडिंग से पहले टूट गया है। इस पूरे मिशन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के कंट्रोल सेंटर से देश को संबोधिति किया।
एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।
लैंडर विक्रम से मिले आंकड़ों की समीक्षा की जा रही है। मॉरीशस और मैड्रिड में लैंडर विक्रम के भेजे गए संदेश भी मिले थे लेकिन इसरो इनकी समीक्षा कर रहा है। इस पूरे मिशन में अभी भी एक बहुत ही पावरफुल सैटेलाइट आर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर लगा रही है जो चांद पर कई तरह के प्रयोग करने में सक्षम है।
चांद पर चंद्रयान 2 भेजकर भारत इतिहास रचने जा रहा है और दुनियाभर में भारत ऐसा चौथा देश होगा जो यह उपलब्धि प्राप्त करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि यह प्रक्रिया अपराह्न 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई और एक बजकर 15 मिनट पर ऑर्बिटर से ‘विक्रम’ अलग हो गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि मंगलवार को चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करते समय हमारे दिल की धड़कनें लगभग थम सी गई थीं।
इसरो के मुताबिक ये स्टेज मिशन के सबसे मुश्किल स्टेज में से एक था क्योंकि अगर सेटेलाइट चंद्रमा पर तेज गति वाले वेग से पहुंचता, तो वो इसे उछाल देता और ऐसे में वो गहरे अंतरिक्ष में खो जाता ।
चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं - ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'। ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा कर शोध को अंजाम देगा। वहीं, लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्सा बनेगा।
दुनिया इस साल मानव के चांद पर कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ मना रही है, इसी आलोक में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह एक अन्य कार्यक्रम के तहत इस दिशा में एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल करने को तैयार है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च करने जा रही है।
इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन करना है। आइए आपको बताते हैं चंद्रयान-2 से भारत को होंगे क्या फायदे।
स्पूतनिक ने कहा, "चंद्रयान-2 की कुल लागत करीब 12.4 करोड़ डॉलर है जिसमें 3.1 करोड़ डॉलर लांच की लागत है और 9.3 करोड़ डॉलर उपग्रह की। यह लागत एवेंजर्स की लागत की आधी से भी कम है। इस फिल्म का अनुमानित बजट 35.6 करोड़ डॉलर है।"
isro moon mission Chandrayaan-2 launch at 2:43 pm on Monday July 22, 2019 । 22 जुलाई को Chandrayaan-2 को किया जाएगा लॉन्च, ISRO ने ठीक की खामी
बताया जा रहा है अगर जुलाई में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टल जाता है तो फिर सितंबर या अक्टूबर में ऐसा संभव हो पायेगा। इसकी वजह लांच विंडो का सही समय है।
इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन करना है। आइए आपको बताते हैं चंद्रयान-2 से भारत को होंगे क्या फायदे।
भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च करने जा रही है।
भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 से इतिहास रचने की कोशिश कर रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को कहा कि वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में यान का प्रक्षेपण करने की कोशिश करेगा।
चांद पर उतरने के इजराइल के प्रयास की विफलता के बाद इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है।
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