इंसानों की चांद को हासिल करने की चाहत कई वर्षों से पूरी नहीं हो पा रही है। नासा के वैज्ञानिकों का मून मिशन फिर फेल हो गया है। नासा ने अब इस मिशन के 2027 तक टलने की आशंका जाहिर की है।
चीन ने अगले कुछ दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए बड़े मिशन पर काम शुरू कर दिया है। चीन ने मानवयुक्त चंद्र मिशन शुरू करने, चंद्र अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और रहने योग्य ग्रहों की खोज करने की योजना का ऐलान किया है।
सूरज, चांद और मंगल के बाद अब भारत सबसे गर्म ग्रह शुक्र पर पहुंचने वाला है। इसरो ने मिशन वीनस ऑर्बिटर की लॉन्चिंग की तारीख भी तय कर ली है। पढ़ें पूरी खबर-
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर अद्भुत खोज की है। इस खोज से वैज्ञानिक भी प्रसन्न हैं। प्रज्ञान रोवर ने चांद पर 160 किमी चौड़ा प्राचीन गड्ढा खोज लिया है।
चीन ने ‘चांग ई-6’ चंद्र मिशन के जरिए चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से से नमूने एकत्र किए थे। सुदूरवर्ती हिस्से से लाए नमूनों का भू-रासायनिक विश्लेषण किया गया है। चीन के वैज्ञानिकों ने इसे लेकर शोध पत्र भी प्रकाशित किया है।
दरिया कावा मिर्ज़ा ने चांद की सबसे अद्भुत तस्वीर ली है, जिसे चंद्रमा की अब तक खींची गई, "सबसे स्पष्ट छवि" के रूप में वर्णित किया है। यह तस्वीर उनके चार दिनों के निरंतर चांद को निहारने और शूटिंग का परिणाम थी।
चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणुओं की खोज की है। यह खोज चांद के बारे में और अधिक जानने और समझने का अवसर देगी। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं भी खुलेंगी।
1961 में, राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने दशक के अंत से पहले चंद्रमा पर एक आदमी को उतारने का साहसिक लक्ष्य रखा। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ बज आल्ड्रिन के आज यानी 20 जुलाई के दिन ही चांद पर पहले कदम पड़े थे।
नासा ने चंद्रमा पर पानी की खोज करने वाले अपने मिशन को टाल दिया है। नासा ने इसके लिए चांद पर एक लैंडर भेजने की तैयारी की थी। मगर अब अचानक अपनी योजना को रद्द कर दिया है।
चंद्रमा के दूर वाले हिस्से से नमूने लेकर चीनी अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर वापस आ गया है। चीन के वैज्ञानिक अब चांद ले लाए गए सैंपल पर रिसर्च करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मिशन को लेकर खुशी जताई है।
भारत और अमेरिका को टक्कर देने के लिए चीन ने चंद्रमा के ऐसे सुदूर क्षेत्र में अपने अंतरिक्ष यान की लैंडिंग कराई है, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल होता है। मगर चीन ने सफलतापूर्व अपने इस मिशन को अंजाम दिया है। चीन का अंतरिक्ष यान चंद्रमा से वहां के नमूने लेकर पृथ्वी पर लौटेगा, जो चीन को 2030 तक मानव मिशन को पूरा करेगा।
चीन के हेनान प्रांत से चांग’ई-6 चंद्रमा मिशन के साथ पाकिस्तान के छोटे उपग्रह आईक्यूब-कमर को भी प्रक्षेपित किया गया था। इस उपग्रह ने सूरज आर चांद की तस्वीरें भेजी हैं।
चीन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के मुख्य डिजाइनर वु वेरेन ने कहा, ‘‘यदि चांग-6 मिशन अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहता है तो यह वैज्ञानिकों को चंद्रमा के दूरस्थ हिस्से के वातावरण और भौतिक संरचना को समझने के लिए सीधे तौर पर पहली बार साक्ष्य उपलब्ध कराएगा।’’
अंतरिक्ष के क्षेत्र में जिस तरह से इसरो के कदम बढ़ रहे हैं उससे दुनियाभर में भारत की साथ बढ़ी है। चंद्रयान 3 मिशन से जुड़ी टीम को एक और उपलब्धि मिली है। टीम को जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिला है।
निजी अमेरिकन अंतरिक्ष यान का नाम ओडीसियस है। यह नाटकीय लैंडिंग के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा। लेकिन चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान यह यान पलट गया।
जापान भी अपने महत्वाकांक्षी मून मिशन के लिए लंबे समय से प्रयासरत था। अब चंद्रमा पर जापान का लैंडर उतर चुका है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि बैटरी चार्ज न हो पाने के कारण यह सो गया। इसका संपर्क भी धरती से टूट गया है।
जापान का अंतरिक्ष यान मून स्नाइपर चंद्रमा पर पहुंच गया है। हालांकि जापानी अंतरिक्ष एजेंसी ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि यह लैंडिंग सफल रही है या नहीं? 25 दिसंबर को जापानी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश हुआ था।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 50 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद फिर से चांद पर मानवों के कदम जल्द पड़ेंगे। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का 2024 का यह मून मिशन तकनीकी वजहों से एक साल के लिए स्थगित हो गया है। अब यह 2025-26 में चांद के लिए रवाना होगा। चांद पर पहलीबार 20 जुलाई 1969 को मानव ने पहला कदम रखा था।
भारतीय एजेंसी इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि को अपने नाम किया है। दरअसल इसरो ने जानकारी देते हुए बताया है कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में वापस सफलतापूर्वक लाया गया है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि दम घुटने से पृथ्वी पर जीवन का अंत हो जाएगा। उनका कहना है कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा धीरे-धीरे कम हो रही है और इससे जीवन खतरे में है। दूसरे ग्रहों पर ऑक्सीजन की तलाश की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर-
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