भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में और कमी कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप रहने की संभावना है। ऐसे में केंद्रीय बैंक दरों में और कटौती कर सकता है।
दुनिया भर में केंद्रीय बैंक अपनी बात को गोलमोल तरीके से पेश करने के लिए जाने जाते रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक भी बहुत सी बातों को समझाने के लिए डोविश (कपोत), हॉकिश (बाज) या आउल (धन की देवी का वाहन) जैसे प्रतीकों का प्रयोग करता रहा है।
रेपो रेट में कटौती के बाद अब बैंकों पर भी कर्ज की दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में बैंक होम और कार लोन की दरों में कटौती करें।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा था कि वह एमपीसी द्वारा रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक में ब्याज दरों में कटौती के लिए तर्क देते हुए कहा था कि इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि आर्थिक गतिविधियां कमजोर हुईं हैं।
रिजर्व बैंक ने घरेलू गतिविधियों में नरमी तथा वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध बढ़ने के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को गुरुवार को कम कर 7 प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी कमिटी (Monetary policy) ने आज (Monetary policy) पॉलिसी रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है। ताजा कटौती के बाद रेपो रेट 5.75 फीसदी पर आ गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से आज चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान कर दिया गया है
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा, वृहद आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक संकेतों से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी।
दुन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) के हालिया आर्थिक पूर्वानुमान के अनुसार, अमेरिका और अन्य देशों के बीच जारी आर्थिक तनाव का भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा।
पिछले सप्ताह 6 अरब डॉलर के कर्ज को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के साथ प्रारंभिक समझौते के बाद यह कदम उठाया गया है।
अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने चार अप्रैल को पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का सुझाव दिया। वहीं कुछ ने 0.50 प्रतिशत की कटौती का समर्थन किया।
उद्योग और विशेषज्ञों को यह उम्मीद है कि बैंक नियामक आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए मुख्य नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
आरबीआई ने अभी मौद्रिक नीति के बारे में नाप-तोल कर सख्ती करने का रुख अपना रखा है।
बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान GDP ग्रोथ 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि दूसरी छमाही के दौरान महंगाई दर 2.7-3.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जारी किया है
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों पर फैसले के लिए जून में पहली बार जो 3 दिन बैठक की थी उसी प्रारूप पर आगे भी बैठक करेगा, मंगलवार को RBI की तरफ से बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। RBI की तरफ से कहा गया है कि 6 जून को ब्याज दरों को लेकर आए फैसले से पहले जिस तरह से मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने 3 दिन बैठक की थी उसी तरह से 30 जुलाई को भी 3 दिन बैठक की जाएगी।
रिजर्व बैंक के अनुसार, महानगरों में अब 35 लाख रुपए तक के होम लोन को प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग की श्रेणी में रखा जाएगा और इस पर वह सारे लाभ मिलेंगे जो प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग श्रेणी के तहत दिए जाते हैं। आपको बता दें कि पहले इसकी सीमा 35 लाख रुपए थी। इस संदर्भ में RBI 30 जून को एक सर्कुलर जारी करेगा।
RBI Policy: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत, MSF को 6.25 प्रतिशत, बैंक रेट को 6.25 प्रतिशत और CRR को 4 प्रतिशत तक बनाए रखने का फैसला किया है
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