गोवा में करीब 80,000 प्रवासी मजूदरों ने अपने मूल स्थानों को लौटने के लिए राज्य सरकार के पास अपना पंजीकरण कराया है। उनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।
कांग्रेस के प्रवासी मजदूरों की यात्रा का भार उठाने को ‘नौटंकी’ करार देते हुए कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने पार्टी पर कोविड-19 के मामले पर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनकी मानसिकता की तुलना रोमन सम्राट नीरो से की।
लॉकडाउन के कारण फंसे श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर भाड़ा लिए जाने की आलोचना होने के बीच सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अब तक चलायी गयी 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक को छोड़कर विभिन्न राज्य सरकारों ने भुगतान किया है।
अन्य राज्यों से आए मजदूरों को उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड 19 की टीम-11 के अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की। बैठक में हुए फैसले के आधार पर कामगारों को गृह जिले तक पहुंचाने के लिए 10 हजार बसों की व्यवस्था की गई है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि यह अपने आप में एक गुत्थी है कि रेलवे एक तरफ पीएम केयर्स कोष में 151 करोड़ रुपये दे रहा है और दूसरी तरफ प्रवासी श्रमिकों से किराया वसूल रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज भी लाखों श्रमिक व कामगार देश के अलग-अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा। दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं।
पायलट ने कहा, 'कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के चलते श्रमिक, मजदूर पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते लोगों की नौकरियां छिन गई है, उनके रोजगार समाप्त हो गये हैं और काम-धंधे ठप्प हो गये हैं।'
नितिन राउत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन यात्रा के लिए 505 रुपये लिए जा रहे है, जो कि पूरी तरह गलत है।
लॉकडाउन की वजह से केरल में फंसे लगभग 1,150 मजदूरों को लेकर पहली ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन रविवार को ओडिशा के गंजाम जिले में पहुंची।
गुजरात के सूरत से उत्तर प्रदेश जा रही प्रवासी मजदूरों की बसों को प्रशासनिक कारणों से शनिवार को गुजरात सीमा पर आगे जाने से रोक दिया गया जिससे भड़के प्रवासी मजदूरों ने गुजरात पुलिस पर पथराव किया।
अजीज ने कहा कि अब वो बुरे दिन को याद नहीं करना चाहते। अब चाहे जो हो जाए वह राज्य से बाहर नहीं जाना चाहते। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने गांव, घर, परिवार को छोड़कर नहीं जाना चाहता। यहां सरकार अगर रोजगार के साधन उपलब्ध करा दे, तो कोई क्यों जाए?
मौत किस बहाने से अपने आगोश में ले ले, कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही एक दुखद हादसा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सामने आया है।
बिहार सरकार ने आज ये साफ कर दिया है कि सरकार दूसरे राज्यों में फंसे बिहारियों को वापस लाने का इंतजाम करने के लिये गाड़ियां उनके राज्य तक नहीं बल्कि अपने राज्य के बॉर्डर तक भेजेगी।
लॉकडाउन के कारण फंसे और किसी तरह अपना गुजारा कर रहे 23 वर्षीय आमिर सोहेल को अब बस घर जाना है, अपने बेटे को गले लगाना है और घर के आंगन में चारपाई डालकर सुख से सोना है, अब उसका मन नहीं लग रहा है।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि बिहार में बसों की सीमित उपलब्धता है और प्रवासी मजदूरों की जितनी संख्या विभिन्न राज्यों में हैं, उससे सड़क मार्ग से उन्हें लाने में महीनों लग सकता है।
उन्होंने कहा कि अकेले लुधियाना में सात लाख से अधिक प्रवासी मजदूर हैं, जबकि पूरे पंजाब में दस लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं।
केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने और विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को रिसीव करने या उन्हें भेजने के लिए एक मानक प्रोटोकॉल बनाने के लिए कहा है।
लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे उत्तर प्रदेश के कामगारों और मजदूरों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भावुक अपील की है।
गुजरात के सूरत जिले में मंगलवार को अपने घर भेजने की मांग करते हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए और उन्होंने एक इलाके में निर्माणाधीन एक इमारत में तोड़फोड़ की तथा कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
कोरोना संकट के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार युद्धस्तर पर प्रयास कर रही है।
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