अमित शाह ने अपने पत्र में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली ट्रेनों को राज्य में पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है।
औरंगाबाद में रेल की पटरी पर सो रहे जिन 16 गरीब मजदूरों के ऊपर से ट्रेन गुजर वो सभी महाराष्ट्र के जालना से निकले थे और चूंकि हाईवे पर पुलिस की गश्त थी इसलिए वे रेल पटरी के सहारे जा रहे थे।
इस एप में डाटा का डुप्लीकेशन न हो, इसके लिए यूनिक मोबाइल नंबर को आधार बनाया गया है। इसकी एक और विशेषता यह भी है कि यह ऑनलाइन के साथ ही ऑफलाइन भी काम करता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री एम एल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा घर जाने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों को अगले 7 दिनों में 100 रेलगाड़ियों व 5000 बसों के माध्यम से उनके गृह राज्यों में नि:शुल्क पहुंचाया जाएगा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने 5 मई को कहा था कि प्रवासी श्रमिकों को बिहार ले जाने वाली ट्रेनें बिहार के 20,000 से 25,000 उन श्रमिकों के साथ वापस आएंगी, जो तेलंगाना में चावल मिलों में काम कर रहे थे।
दिल्ली से आज 1200 मजदूर को लेकर दिल्ली से मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार के लिए ट्रेन को रवाना किया गया। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने इसकी जानकारी दी।
‘‘पूरी दुनिया में’’ हजारों की संख्या में प्रवासी फंसे हुए हैं, जहां उन्हें कोविड-19 के संक्रमण का काफी खतरा है। प्रवास मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ‘अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संगठन’ (आईओएम) के प्रमुख ने यह कहा है।
गुरुवार-शुक्रवार की आधी रात को करीब 1.30 बजे नोएडा पुलिस ने भंगेल दादरी सूरजपुर रोड पर दो प्राइवेट बसों को बिहार के लिए सवारी बैठाते हुए देखा। इन बसों के ऊपर एक बैनर लगा था, जिसपर लिखा था- 'बिहार सरकार द्वारा दिल्ली यूपी गौतमबुद्धनगर से बिहार फ्री मजदूरो की सेवा'।
सैकड़ों प्रवासी मजदूर यहां रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़े और उन्होंने तत्काल अपने-अपने राज्य भेजे जाने की मांग की। वे यह जानकर रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़े कि कर्नाटक सरकार उन्हें गृह राज्य भेजने के लिए विशेष ट्रेनें चलाएगी।
एक तरफ तो सरकार भूखे और लाचार लाखों प्रवासी मजदूरों से घोर अमानवीय व्यवहार करते हुए उनसे किराया भाड़ा वसूल कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ अमीरों के लिए दयावान बनी हुई है।
दिल्ली में फंसे बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए दिल्ली सरकार इन दोनों राज्यों की सरकार से भी बातचीत कर रही है।
गुजरात के राजकोट से 1250 प्रवासी मजदूरों को लेकर बुधवार सुबह बलिया रेलवे स्टेशन श्रमिक स्पेशल ट्रेन के पहुंची।
गुरुग्राम जिला प्रशासन ने लॉकडाउन में फंसे नागरिकों को घर पहुंचाने के लिए पंजीकरण कैसे कराएं इसके लिए जानकारी दी है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे राज्य के 15,000 लोगों को लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में फंसे लोगों को सबसे पहले लाया जाएगा।
राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न शहरों से प्रदेश की सीमा तक जाने वालों से कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा।
बिहार में लॉक डाउन के दौरान दूसरे राज्यों से आये लोगों में अब तक 65 लोग संक्रमित मिले हैं। बिहार के 21 जिलों में ऐसे सभी लोग मिले हैं। कुछ प्रमुख जिलों का आंकड़ा इस तरह है।
गोवा में करीब 80,000 प्रवासी मजूदरों ने अपने मूल स्थानों को लौटने के लिए राज्य सरकार के पास अपना पंजीकरण कराया है। उनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।
कांग्रेस के प्रवासी मजदूरों की यात्रा का भार उठाने को ‘नौटंकी’ करार देते हुए कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने पार्टी पर कोविड-19 के मामले पर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनकी मानसिकता की तुलना रोमन सम्राट नीरो से की।
लॉकडाउन के कारण फंसे श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर भाड़ा लिए जाने की आलोचना होने के बीच सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अब तक चलायी गयी 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक को छोड़कर विभिन्न राज्य सरकारों ने भुगतान किया है।
अन्य राज्यों से आए मजदूरों को उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड 19 की टीम-11 के अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की। बैठक में हुए फैसले के आधार पर कामगारों को गृह जिले तक पहुंचाने के लिए 10 हजार बसों की व्यवस्था की गई है।
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