जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने सूबे के लोगों से एक बड़ा चुनावी वादा किया है।
महबूबा ने आतंकियों और पाकिस्तान से बातचीत करने की सलाह ही नहीं दी जिस कन्हैया कुमार और उमर खालिद पर जेएनयू में देशद्रोही नारेबाज़ी करने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की गई है, महबूबा ने उसे भी मोदी सरकार का चुनावी स्टंट बता दिया है।
महबूबा मुफ़्ती का विवादस्पद बयान, स्थानीय आतंकियों को 'भूमि पुत्र' बताया
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने इस पर हैरानी जताई कि अगर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अफगानिस्तान में तालिबान से वार्ता करने की वकालत कर सकते हैं तो केंद्र जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों से बातचीत करने की पहल क्यों नहीं कर सकता।
महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को एक और झटका देते हुए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जावेद मुस्तफा मीर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
महबूबा ने कहा कि जब हम मुस्लिमों के लिए आरक्षण की बात करते हैं तो भाजपा यह कहते हुए इसे नकार देती है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता, लेकिन जब ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने की बात आती है तो भाजपा संसद पहुंच जाती है
महबूबा ने इन गिरफ्तारियों को चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि एनआईए को ‘‘पूर्व के घटनाक्रमों से सीखना चाहिए’’ जब लंबी सुनवाई के बाद आरोपियों को छोड़ना पड़ा था।
महबूबा ने कहा कि जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब उनके पिता जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और जो संदेश गया, वह यह था कि केंद्र और राज्य सरकार एक ही पाले में हैं तथा 2002-05 का काल ‘स्वर्णिम काल’ बन गया।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा 21 नवंबर को विधानसभा भंग करने के बाद द्राबू दूसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है।
महबूबा मुफ्ती ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी को इस बात का विश्वास है कि इस प्रस्ताव पर भारत सरकार सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी।
महबूबा ने मीडिया की उन खबरों की भी आलोचना की जिनमें दावा किया गया है कि इस पहल से भारत में ‘खालिस्तान एजेंडा’ को बढ़ावा मिलने की आशंका है।
राज्यपाल ने शनिवार को ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि उन्होंने विधानसभा इसलिए भंग की क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इतिहास में उन्हें एक ‘‘बेईमान’’ व्यक्ति के तौर पर याद किया जाए।
यह गलियारा बनाने का फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर को लिया गया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान करतारपुर गलियारे के लिए 28 नवंबर को पाकिस्तान की सरजमीं पर इसकी आधारशिला रखेंगे।
पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से 19 जून को समर्थन वापस ले लिया था, और इसके अगले ही दिन सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया था।
पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती की तरफ से नेशनल कांफ्रेस और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी भेजी गई थी।
भाजपा के प्रदेश महासचिव युद्धवीर सेठी ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वाले लोग राष्ट्र का भला नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने हिजबुल के दो आतंकवादियों तथा पूर्व पीएचडी छात्र मन्नान मानी के सफाए के लिए सुरक्षा बलों की सराहना की।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पीएचडी छात्र वानी इस साल जनवरी में आतंकी बना था। वह कुपवाड़ा जिले के लोलाब इलाके से ताल्लुक रखता था और उसकी मौत इसी जिले के शतगुंद गांव में उसके सहयोगी के साथ मुठभेड़ में हुई।
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