एनपीपीए को ये दवाएं बनाने वाली कंपनियों से कीमतों में बढ़ोतरी की मांग वाले आवेदन मिल रहे थे। इन आवेदनों में कंपनियों ने दवा सामग्री की बढ़ती लागत, बढ़ते उत्पादन लागत और एक्सचेंज रेट में बदलाव जैसे अलग-अलग कारणों का हवाला दिया गया है।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी होती है और जब यह नीचे आती है तो दाम कम हो जाते हैं।
Medicines Discount: गंभीर बीमारी से परेशान मरीजों के लिए राहत की खबर आई है। MedPlus 500 से अधिक दवाओं पर छूट देने जा रही है।
New Rates Medicines: कोरोना महामारी के बाद से दवाईयों की कीमत तेजी से बढ़ी है। जरूरी बीमारी की दवाईयां भी काफी महंगी मिल रही है।
एनपीपीए ने ट्वीट कर कहा कि सरकार एनएलईएम में सूचीबद्ध कुल 870 दवाओं में से अबतक 651 के अधिकतम मूल्य को तय कर पाई है।
वर्ष 1997 में स्थापित एनपीपीए औषधि उत्पादों की कीमतें निर्धारित एवं संशोधित करने के अलावा डीपीसीओ के प्रावधानों को लागू करने एवं नियंत्रित दवाओं की कीमतों पर नजर रखने का काम करता है।
केंद्र सरकार की ओर से 12 नवंबर को अधिसूचित इस संशोधित सूची के साथ, सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को इन दवाओं का एक बड़ा स्टॉक रखना आवश्यक है।
Dolo-650: पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को दस दिनों में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और इसके बाद पारिख को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
यदि आप भी ऑनलाइन कंपनियों से सस्ती कीमत पर दवाएं खरीदते हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन फार्मेसी द्वारा इंटरनेट पर दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी।
चीन में दवा कंपनियों पर छाए संकट के बादल भारत में भी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। पर्यावरण संबंधी चिंताओं की वजह से बहुत सी चाइनीज कंपनियों का कारोबार ठप हो चुका है, जिससे भारतीय कंपनियों को कच्चे माल की भारी कमी झेलनी पड़ रही है।
राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण एनपीपीए का कहना है कि पिछले साल मार्च से अब तक एक वर्ष में कैंसर की दवा की कीमत में 86 प्रतिशत तक की कमी आई है।
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