औषधि मूल्य नियामक (NPPA) ने 19 चिकित्सा उपकरणों के दाम की निगरानी रखने के लिए एक नए फॉर्मेट को अंतिम रूप दिया है।
EPFO के चार करोड़ अंशधारकों के लिए एक और बड़ी खुशखबरी है। अब वे अपने ईपीएफ एकाउंट से बीमारी के इलाज के लिए बिना मेडिकल सर्टीफिकेट दिए पैसा निकाल सकते हैं।
पीएमओ फार्मास्युटिकल्स विभाग पर जल्द चिकित्सा उपकरण नीति लाने का दबाव बना रहा है। इससे क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा और इसमें एफडीआई आकर्षित किया जा सकेगा।
ESIC के तहत आपने वाले सभी सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों को केंद्र सरकार मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। इससे 58 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा।
हेल्थ इंश्योरेंस के महत्व को मौजूदा समय में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महंगे इलाज से न केवल आपकी जेब खाली हो सकती है बल्कि कर्ज के बोझ से भी दब सकते हैं
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय खाद्य निगम (FCI) के करीब 35,000 कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।
भारतीयों ने स्वास्थ्य और चिकित्सा की वजह से एक रात की यात्रा पर सबसे अधिक औसतन 15,000 रुपए से अधिक खर्च किए।
भारत में इलाज कराना बहुत महंगा है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे जोरशोर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का प्रचार और प्रसार कर रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि डीजीसीआई द्वारा मंजूरशुदा किसी दवा पर प्रतिबंध कैसे लगाया जा सकता है। सरकार ने कहा हमारा फैसला सही।
कम कीमत पर जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार देश भर में 3,000 जन औषधि स्टोर खोलेगी।
मोबाइल एप पर रेल यात्रा से जुड़ी हर जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।इस सर्विस के जरिये यात्री अपनी यात्रा के दौरान मेडिकल हेल्प हासिल कर सकता है।
किरण मजूमदार शॉ ने जीवन रक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी छूट वापस लिए जाने की आलोचना की। मरीजों के लिए नुकसानदेह होगा दवाओं पर टैक्स छूट वापस लेना।
दवाओं की कीमतों में तेजी से गिरावट आ सकती है क्योंकि सरकार की ओर से दवाओं पर कारोबारी मार्जिन की अधिकतम सीमा 35 फीसदी तय किए जाने की संभावना है।
इरडा की ओर से जारी की गई गाइडलाइन्स के अनुसार राइडर्स पर प्रीमियम आपके हेल्थ इंश्योरेंस बेस प्लान के 30 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
अधिकांश लोग कंपनियों के निर्देशों पर न तो गौर फरमाते हैं और न ही उन्हें गंभीरता से लेते हैं। इस वजह से कई बार आपको मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी का पूरा लाभ नहीं मिलता।
देशभर में आठ लाख से ज्यादा केमिस्ट (दवा विक्रेता) ने बुधवार को अपने मेडिकल स्टोर बंद रखने का फैसला किया है। केमिस्ट सरकार द्वारा दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को दी गई मंजूरी का विरोध कर रहे हैं।
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