26 मार्च 2022 को मंगल ने मकर राशि में गोचर किया था। इस राशि में पहले से शनि का गोचर चल रहा था, और शनि-मंगल का साथ होना युद्ध जैसा होना था। अब मंगल के कुंभ राशि में गोचर से विश्व शांति स्थापित होगी।
मंगल के तुला राशि में प्रवेश से किन राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जानिए।
चीन के ‘नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर कहा कि झुरोंग ने अपना 90 दिन का कार्यक्रम 15 अगस्त को पूरा किया और वह बेहतरीन तकनीकी स्थिति में तथा पूरी तरह चार्ज है। इसने कहा कि रोवर यूटोपिया प्लैनिटिया के नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र का पता लगाना जारी रखेगा जहां यह 14 मई को उतरा था।
चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने इसकी यान के मंगल ग्रह पर उतरने की पुष्टि की है। तियानवेन-1 (Tianwen-1) नाम के इस यान को चीन ने 23 जुलाई 2020 को लॉन्च किया था।
नासा के प्रायोगिक मंगल हेलीकॉप्टर ने 19 अप्रैल को धूलभरी लाल सतह से पहली उड़ान भरी थी और किसी अन्य ग्रह पर पहली नियंत्रित उड़ान की उपलब्धि हासिल की। इस घटनाक्रम की तुलना राइट ब्रदर्स के प्रयोग से की जा रही है।
हाल में मंगल की सतह पर उतरे नासा के रोवर ने इस सप्ताह लाल ग्रह पर अपने पहले प्रायोगिक मुहिम में 21 फुट की दूरी तय की। मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशने की मुहिम के तहत पर्सेवियरेंस रोवर ग्रह की सतह पर उतरने के दो सप्ताह बाद अपने स्थान से कुछ दूर चला।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने अपने पर्सिवियरेंस रोवर को सफलतापूर्वक जेजेरो क्रेटर पर लैंड कराया है। यह मंगल ग्रह का एक बेहद दुर्गम इलाका है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। NASA का पर्सविरन्स रोवर धरती से टेकऑफ करने के 7 महीने बाद कल आधी रात को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर लैंड हो गया।
ग्रह विज्ञानियों को यह तो ज्ञात है कि मंगल पर कम से कम 3.7 अरब वर्षों से पानी है। लेकिन उल्कापिंड की खनिज संरचना से, मिकोची और उनकी टीम ने खुलासा किया कि यह संभव है कि पानी करीब 4.4 अरब साल पहले मौजूद था।
आज 13 अक्टूबर यानि मंगल का दिन है। आज शाम दुनिया एक खास खगोलीय नजारा अपनी आंखों से देखेगी।
तीन देश- अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात इस हफ्ते से शुरू हो रहे सिलसिले में मानवरहित अंतरिक्षयानों को लाल ग्रह पर भेजना शुरू करेंगे।
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर को अब नाम मिल गया है और इसका श्रेय भारतीय मूल की 17 वर्षीय लड़की वनीजा रूपाणी को मिला है।
नासा के मंगल ग्रह की यात्रा पर गए क्युरोसिटी मार्स रोवर ने इस लाल ग्रह पर मीथेन गैस की अब तक की सबसे बड़ी मात्रा का पता लगाने में सफलता हासिल की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी है।
नासा ने एक बयान में कहा कि चिप पर अंकित इन नामों को रोवर पर भेजा जायेगा। इस रोवर के माध्यम से पहली बार मानव के किसी अन्य ग्रह पर कदम रखने की संभावना प्रबल होगी।
नासा के इनसाइट लैंडर ने मंगल गृह पर 10 से 15 मील प्रति घंटे (5 से 7 मीटर प्रति सेकंड) के हिसाब से चल रही हवा को दर्ज किया।
मंगल से पृथ्वी की दूरी लगभग 16 करोड़ किलोमीटर है और अंतरिक्षयान के बारे में रेडियो सिग्नल से मिल रही जानकारी यहां तक आने में आठ मिनट से ज्यादा का समय लग रहा है।
चार साल बाद भी इसकी भेजी तस्वीरों को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा खरीद रहा है। इनके जरिए नासा मंगल पर मीथेन की मौजूदगी को लेकर जल्द किसी नतीजे पर पहुंच सकता है।
पृथ्वी से नज़दीकी के कारण 7 जुलाई से लेकर 7 सितंबर तक मंगल की चमक औसत से अधिक रहेगी। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में ये बिना टेलीस्कोप के देखा जा सकेगा लेकिन टेलीस्कोप से देखने पर इसे और अच्छे से देखा जा सकेगा।
मंगल पर भीषण धूल भरी आंधी चलने से नासा का ऑपरचुनिटी रोवर शिथिल पड़ गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि इस कारण से सौर - ऊर्जा से चलने वाला यह मानवरहित यान सुसुप्त अवस्था में चला गया है और इसके अस्तित्व को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं।
नासा के इनसाइट मार्स लैंडर की निगरानी के लिए विकसित दुनिया के पहले छोटे उपग्रह सफलतापूर्वक लाल ग्रह की तरफ बढ़ गए हैं...
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