Mars Transit 2023: आज मंगल कन्या राशि में गोचर करने वाले हैं। मंगल का यह गोचर इन राशियों को अपार धन का लाभ दिलाएगा। वहीं इन राशि के जातकों को सावधान रहना होगा।
चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने से पहले मंगल ग्रह पर पानी होने के वजूद को लेकर वैज्ञानिकों ने कई चौंकाने वाला दावा किया है। अमेरिका, फ्रांस और कनाडा के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि मंगल ग्रह पर मिली मिट्टी की दरारें यह बताती हैं कि यहां कभी पानी था और जो बाद में वाष्पित हुआ।
मंगल ग्रह हमारी धरती का पड़ोसी ग्रह है। इस ग्रह में दिन की अवधि छोटी हो गई है। नासा के मंगल लैंडर से यह जानकारी मिली है। जानकारी के अनुसार मंगल पर दिन की अवधि हमारी पृथ्वी से आधे घंटे से कुछ अधिक होती है।
शायद यह सवाल आपके मन में कभी आया ही न हो कि यदि किसी की मौत अंतरिक्ष मिशन के दौरान पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा या मंगल ग्रह पर हो जाती है तो उसके मृत शरीर का क्या किया जा सकता है। 21वीं सदी में दुनिया तेजी से चंद्रमा, मंगल और अंतरिक्ष मिशन पर जा रही है। ऐसे में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा अहम मुद्दा है।
Mars Transit 2023: जन्मपत्रिका में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में स्थित मंगल जातक को मांगलिक बनाता है। लिहाजा यहां आपको यह ध्यान देना है कि मंगल कहीं आपके जन्मपत्रिका के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में तो नहीं प्रवेश कर रहे हैं। अगर हां, तो मंगल का यह गोचर आपको 18 अगस्त तक के लिए अस्थायी
अंतरिक्ष यान के लाल ग्रह से बहुत दूर जाने से पहले मार्स एक्सप्रेस से लगभग एक घंटे की तस्वीरें भेजी गई थीं। मार्स एक्सप्रेस ने 2004 में विज्ञान संचालन शुरू करने के बाद से मंगल की काफी रोमांचित करने वाली तस्वीरें भेजी हैं।
आज की रात यानी 24 मई की रात खास होने वाली है। आप रात में चंद्रमा-मंगल और शुक्र तीनों ग्रहों को एक साथ देख सकेंगे। ये दुर्लभ नजारा सालों-साल बाद दिखाई देगा।
Mars Transit: आज मंगल मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं। इस गोचर को प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। जानिए मंगल का यह गोचर किन राशि के लिए शुभ फल लाएगा और किसे रहना होगा सावधान।
16 अक्टूबर को मंगल का मिथुन राशि में गोचर होगा। ज्योतिष के अनुसार मंगल के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव कई अन्य राशियों पर भी पड़ेगा। हालांकि कुछ राशि वाले जातकों को इसका लाभ भी मिलने वाला है।
वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल को मंगल के दक्षिण ध्रुवीय आइस कैप के नीचे तरल रूप में पानी के संभावित अस्तित्व के नए सुबूत मिले हैं। किसी ग्रह का ऊपरी भाग जो बर्फ से ढका हो उसे ‘आइस कैप’ कहते हैं।
Mangalyaan: भारत के मंगलयान में ईंधन खत्म हो गया है और इसकी बैटरी अपनी क्षमता से भी कहीं ज्यादा चलने के बाद खत्म हो गई है। इसके बाय ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है।
Shukra Grah Ast 2022: सिंह राशि में अस्त होने जा रहे हैं शुक्र, इन राशियों के लोग रहें सतर्क! Shukra Grah Ast 2022 know the astrological rashi parivartan of venus settings in leo people of these 4 zodiac signs should be alert
Nasa: धरती पर हवा और पानी है इसलिए जीवन संभव है। जीने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है जो फिलहाल धरती पर ही मौजूद है लेकिन अब ऐसा लगता है कि मंगल पर जीवन संभव हो सकता है।
If The Sun Disappears: 1 दिन में पूरे 24 घंटे होते हैं। दिन-रात मिलाकर पूरे 24 घंटे गुजरते हैं। जब रात होती है तो अगले दिन सुबह होने की इंतजार रहती है। आपने कभी सोचा है कि अगर सुबह कल हो ही ना।
Nasa: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में मंगल की सतह की कई अनोखी तस्वीरें जारी की हैं। इसमें इस मंगल ग्रह पर बने गड्ढे की तस्वीर लोगों का ध्यान खींचा है. दरअसल, यह क्रेटर देखने में इंसान के कान जैसा है।
NASA Mars: जब अंतरिक्ष से मंगल पर एयरक्राफ्ट उतरता है, तो उसकी गति 19,312 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। जो मंगल के वातावरण के कारण घर्षण की वजह से अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करता है।
आज तक, सैटेलाइट और रॉकेटों के मलबे से पृथ्वी की सतह (या वायुमंडल में हवाई यातायात) को नुकसान पहुंचने की संभावना को नगण्य माना गया है। ऐसे अंतरिक्ष मलबे के अधिकांश अध्ययनों ने निष्क्रिय सैटेलाइट द्वारा कक्षा में उत्पन्न जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है, जो कार्यशील सैटेलाइट के सुरक्षित संचालन में बाधा डाल सकता है।
मंगल पर मौजूद घाटी अमेरिका के ग्रैंड कैन्यन से 20 गुना बड़ी है। ग्रैंड कैन्यन की लंबाई 445 किलोमीटर है, जबकि इसकी चौड़ाई 28 किलोमीटर है। यूरोप के अल्प्स की पहाड़ियों पर मौजूद सबसे ऊंचा पहड़ा माउंट ब्लांक समुद्र तल से 15,000 फीट ऊंचा है।
यूरेनस का केवल एक हिस्सा सूर्य की ओर रहता है। यह सूर्य से अधिक दूर नहीं है, फिर भी यह एक ठंडा ग्रह है। हालांकि 1986 में मानव निर्मित मशीन वोयागर-2 अंतरिक्ष यान इसके करीब से गुजरा था।
जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन एक ग्लास बनाने वाले हैं। इसका मतलब है कि इंसान एक आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट में रहेगा। जिसकी ग्रैविटी पृथ्वी के बराबर होगी।
संपादक की पसंद