महाराष्ट्र में मराठा समाज द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है। राज्य सरकार और मराठा समाज के नेताओं के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है।
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि सरकार मराठा आरक्षण पर काम कर रही है और मराठाओं को आरक्षण देगी। वहीं, जालना लाठीचार्ज में दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई भी होगी।
महाराष्ट्र सरकार को मनोज नाम के एक शख्स ने हिला कर रख दिया है. कहा जा रहा है महाराष्ट्र को नया मंडल मिला है. अन्ना हजारे और बाबा आमटे ने मराठवाड़ा में जैसे नया अवतार लिया है
महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक होने के बाद सूबे में सियासी पारा भी गरम हो गया है।
महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन में तेजी देखने को मिल रही है। जालना के बाद अब संभाजीनगर में पुलिस ने धारा 37 (3) लागू कर दी है। साथ ही राज ठाकरे के काफिले को भी संभाजीनगर जाने से रोक दिया गया है।
मराठा आरक्षण की मांग पर हो रहे आंदोलन के मद्देनजर आज औरंगाबाद शहर को बंद रखा गया है। इसी कड़ी में प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। ऐसे में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई है।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से ही आंदोलनकारी अनशन पर बैठे थे। जिसके बाद पुलिस अनशनकारियों को उठाने पहुंची, इस दौरान विवाद बढ़ गया और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद यहां हिंसा भड़क गई। अब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार घायलों से मिलने जालना पहुंच गए हैं।
महाराष्ट्र के जालना में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ। इसके विरोध में मराठा क्रांति मोर्चा ने हाईवे पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया।
महाराष्ट्र में शुक्रवार के दिन में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। इसमें कई लोगों के घायल होने की खबर है।
मराठा समुदाय के लिए सोमवार को उद्धव सरकार ने बड़ा ऐलान किया। राज्य में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को मिलनेवाला EWS आरक्षण कैटेगरी में मराठा समाज का समावेश होगा। सरकार ने नया आदेश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द करने के बाद महाराष्ट्र में राजनीति उफान पर है। हर कोई एक दूसरे पर इसकी नाकामी का ठीकरा फोड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को निरस्त कर दिया है। मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग लंबे समय से चलती आ रही है और 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने इसपर कानून भी बना दिया था और सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में मराठाओं को 16 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी
है। देशमुख ने एक टीवी चैनल से कहा कि राज्य सरकार विचार कर रही है कि मराठा आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय की अंतरिम रोक से प्रभावित होने वाले छात्रों को किस तरह से राहत दी जा सकती है।
भाजपा सांसद संभाजी छत्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र का मराठा समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी (ओबीसी) के तहत नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की श्रेणी में आरक्षण चाहता है।
शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए हुए आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने के पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के फैसले को लागू करने का बुधवार को फैसला किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के पहलू
आरक्षण को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50% कैप का उल्लंघन हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
वकील पूजा धर द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय ने केवल इस तथ्य को असाधारण परिस्थिति मानकर गलती की कि अन्य ओबीसी को मराठों के साथ अपना आरक्षण कोटा साझा करना होगा (अगर मराठा को मौजूदा ओबीसी श्रेणी में डाला गया)।
बंबई उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद न्यायालय परिसर में लोगों ने ‘जय मराठा, एक मराठा लाख मराठा’ का नारा लगाया। उन्होंने एक दूसरे से गले मिलकर और हाथ मिलाकर बधाई दी। खुशी के इस माहौल ने कई मराठा कार्यकर्ताओं ने भगवा झंडे लहराए जिन पर छत्रपति शिवाजी की तस्वीर थी।
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