भारतीय निर्माताओं ने अगस्त के दौरान नए व्यवसाय और उत्पादन में नरम वृद्धि की सूचना दी, हालांकि ऐतिहासिक मानकों के अनुसार विस्तार की दरें ऊंची रहीं। निर्माताओं ने सुरक्षा स्टॉक बनाने के लिए अपने कच्चे माल की खरीद गतिविधि में वृद्धि की।
सूचकांक का 50 से अधिक रहना विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है।
विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र सूचक निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में गिरकर 52.3 हो गया, जो कि जून में 53.1 था।
देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में अप्रैल महीने में मामूली सुधार हुआ है। इसकी प्रमुख वजह नए ऑर्डर में तेजी, मांग की अनुकूल स्थितियों के बीच महंगाई के दबाव का कम होना रहा।
कारखानों में उत्पादन और नए कारोबारी ऑर्डर में वृद्धि की गति धीमी पड़ने से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों फरवरी में चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, जनवरी के मुकाबले इसमें गिरावट मामूली रही।
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जनवरी में तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी अहम वजह कारखानों का उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार वृद्धि का धीमा रहना है। यह बात कंपनियों के परचेजिंग मैनेजरों के बीच किए जाने वाले एक मासिक सर्वेक्षण में सामने आयी है।
सालभर परेशानियों के दौर से जूझने वाले भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए 2017 का अंतिम महीना शानदार वृद्धि लाने वाला रहा। दिंसबर में परिचालन स्थितियां बेहतर रहने से यह पांच महीने के उच्च स्तर पर रहा।
चीन में दिसम्बर में विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार की रफ्तार धीमी दर्ज की गई, जबकि सेवा क्षेत्र का विस्तार जारी रहा। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
GST के कारण अक्टूबर में निक्केई इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में घटकर 50.3 पर आ गया, जो सितंबर में 51.2 पर था।
देश में सितंबर में लगातार दूसरे माह मैन्युफैक्चरिंग PMI में तेजी का रुख रहा। नए ऑर्डर आने और उत्पादन बढ़ने से सितंबर में विनिर्माण गतिविधियां बेहतर रहीं।
देश में जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद मैन्युफैक्चरिंग PMI में गिरावट आई है, क्योंकि इस दौरान नए ऑर्डर और उत्पादन में कमी रही।
नए ऑर्डर मिलने से जून माह के दौरान सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में जोरदार उछाल आया है और इस क्षेत्र का PMI आंकड़ा 53.1 अंक पर पहुंच गया।
ग्राहकों की मांग कमजोर रहने और GST से जुड़ी चिंताओं के चलते जून माह में विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ (मैन्युफैक्चरिंग PMI) चार माह के न्यूनतम स्तर तक गिर गई
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अप्रैल में लगातार चौथे महीने वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, वृद्धि में इससे पिछले महीने के मुकाबले ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया।
निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अनुसार फरवरी में विनिर्माण सूचकांक बढ़कर 50.7 रहा जो जनवरी के 50.4 के आंकड़े से अधिक है।
शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक आंकड़े इस सप्ताह बाजार की चाल तय करेंगे।
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