किसी भी संदेह को दूर करने के लिए पूरी रात सभी पोस्टमॉर्टम के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और यह कानूनी उद्देश्यों के वास्ते भविष्य के संदर्भ के लिए संरक्षित रखी जाएगी।
राजनीतिक तौर पर सबसे अहम दौरा अमित शाह का है जो आज वाराणसी पहुंच रहे हैं। राजनाथ सिंह तीन दिन के यूपी दौरे पर हैं साथ ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी आज लखनऊ में हुनर हाट में शामिल हो रहे हैं।
दिल्ली में इस साल सामने आए कुल मामलों में से अक्टूबर में ही 1196 मामले सामने आए। नगर निकाय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 30 अक्टूबर तक डेंगू से छह लोगों की मौत हुई और कुल 1537 मामले सामने आए, जो कि 2018 में इस अवधि में सामने आए मामलों के बाद से सर्वाधिक है।
नवंबर में सरकारी अभियान के तहत 22 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन और 6 करोड़ कोवैक्सीन उपलब्ध होंगी।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को दो दिन पहले बुखार आया था जिसके बाद डॉक्टरों के सलाह के बाद उन्हें एडमिट कराया गया। आज सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया उनसे मिलने एम्स पहुंचे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि वर्तमान में केरल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले नियंत्रित हो रहे है और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में वहां भी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में आ जाएगी।
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों को अब एक्सरे रिपोर्ट के लिए इंतजार नहीं करना होगा। ओपीडी और इंडोर मरीजों के लिए ये सुविधा होगी।
स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि वैक्सीन मैत्री के तहत अक्तूबर-दिसंबर में वैक्सीन का निर्यात हमारी अपनी जरूरतें पूरी होने के बाद ही होगा। हमारे नागरिकों का वैक्सीनेशन जबसे ज्यादा जरूरी है। ‘वैक्सीन मैत्री’ के लिए अक्टूबर-दिसंबर में अतिरिक्त टीकों का निर्यात होगा, देश की जरूरतों को पूरा करने के बाद ‘कोवैक्स’ पहल में योगदान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मंत्रि परिषद के साथ चिंतन शिविर आयोजित किया
बुलेटिन के अनुसार, राज्य में वर्तमान में 5,90,219 मरीजों को विभिन्न जिलों में निगरानी में रखा गया है जिनमें 5,60,694 गृह-पृथकवास या संस्थागत पृथक-वास में हैं और 29,525 मरीज अस्पतालों में भर्ती है।
जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी।
गुजरात में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विजय रुपाणी के अचानक सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद रविवार (12 सितंबर) को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में विधायक दल के नेता को चुना जाएगा। इसके साथ ही रविवार को गुजरात को नया सीएम मिल जाएगा।
कौन होगा गुजरात का अगला मुख्यमंत्री? यह सवाल विजय रुपाणी के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद से ही सबके जहन में गूंज रहा है। गुजरात के अगले सीएम के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन कौन सीएम की कुर्सी के लिए सबसे प्रवल दावेदार है इसे जानने के लिए देखिए इंडिया टीवी पर बड़ी बहस 'मुकाबला'।
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी अब किसे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाती है, अटकलें कई नामों पर हैं लेकिन आधिकारिक तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री गोरधन जडाफिया, गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटील आदि का नाम चर्चा में है।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य में विधानसभा चुनाव होने से लगभग सवा साल पहले शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि रूपाणी ने किन कारणों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है, जहां 182 सदस्यीय विधानसभा के लिये चुनाव अगले साल दिसंबर में होने हैं। रूपाणी (65) ने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने शनिवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पांच साल तक राज्य की सेवा करने का अवसर दिया गया। मैंने राज्य के विकास में योगदान दिया। आगे मेरी पार्टी जो काम देगी, मैं करुंगा।
मांडविया ने डॉक्टर को संबोधित करते हुए पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा, ‘मुझे खुशी है कि आपने बहुत अच्छे ढंग से मुझसे बातचीत की, मेरी समस्याओं को समझा, मेरी दिक्कतों के बारे में अपनी डायग्नोसिस दी और मेरा इलाज किया।"
देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई तेजी से आगे बढ़ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक टीकाकरण अभियान के तहत देश में अब तक कोविड-19 वैक्सीन की 61 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं।
देशभर में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू किया गया था, जिसमें सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) को टीका लगाया गया था और दो फरवरी से अग्रिम मोर्चे के कर्मियों (एफएलडब्ल्यू) का टीकाकरण शुरू किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना तृतीयक चिकित्सा देखभाल में क्षेत्रीय असंतुलन को दुरुस्त कर रही है और पिछड़े राज्यों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा प्रदान कर रही है।
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