मणिपुर सरकार ने इंफाल घाटी और जिरीबाम जिले में स्कूल और कॉलेज फिर से खोलने के अपने फैसले को वापस ले लिया है।
मणिपुर विधानसभा के स्पीकर ने अपने पद से इस्तीफा देने पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि इसका फैसला भगवान को करना चाहिए और जनता भगवान है।
इंफाल घाटी में विधायकों के आवासों पर हुई तोड़फोड़ और आगजनी की घटना में शामिल होने के आरोप में 7 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले में अब तक 41 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
असम में भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ समागुरी पर कब्ज़ा कर दो और सीटों पर जीत हासिल की। एजीपी और यूपीपीएल ने एक-एक सीट जीती। मेघालय में एनपीपी ने कांग्रेस की एक सीट जीत ली। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने दो सीटें निर्विरोध जीतीं।
मणिपुर में पिछले साल मई के महीने में आरक्षण को लेकर हिंसा शुरू हुई थी। हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में अब तक 258 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच केंद्र ने शांति बहाल करने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स की 90 यूनिट भेजी हैं।
मणिपुर में गुस्साई भीड़ ने 16 नवंबर को कई विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की थी। छह लापता लोगों के शव बरामद होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने राज्य के तीन मंत्रियों और नौ विधायकों के आवासों पर हमला किया था।
पुलिस ने JDU विधायक की मां के द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के हवाले से बताया कि उनके घर पर हमला करके भीड़ ने 1.5 करोड़ रुपये के गहने और 18 लाख रुपये कैश लूट लिए।
कुछ महीनों तक तनावपूर्ण शांति के बाद मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में आग गया है। आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि एक बार फिर मणिपुर में अशांति फैलने लगी है?
मणिपुर में लोगों को कर्फ्यू में ढील दी गई है। इससे लोगों को जरूरी सामान खरीदने में सहुलियत मिलेगी।
कुकी संगठन ने सरकार से उन लोगों को भी सजा दिलाने की मांग की है, जिन्होंने पिछले साल मई में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद कुकी-जो समुदाय की कई महिलाओं और बच्चों की हत्या की।
मणिपुर में कई सांसदों के आवासों पर हमले के कुछ दिनों बाद, राज्य के एक मंत्री ने अपने घर की सुरक्षा बढ़ा दी है।
मणिपुर में पिछले साल मई महीने से हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं। राज्य के अलग-अलग जिलों में लोगों के घर तक जला दिए जा रहे हैं। महिलाओं और बच्चों पर जानलेवा हमले भी हो रहे हैं।
मणिपुर के इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लगा हुआ है। इस बीच इन जिलों में स्टेट यूनिवर्सिटीज समेत संस्थानों, कॉलेजों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
मणिपुर में बीजेपी को बड़ा सियासी झटका लगा है। कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने उससे अपना समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में सवाल है कि इस सियासी बदलाव का बीजेपी पर कितना प्रभाव पड़ेगा?
मणिपुर में पिछले साल मई महीने से हिंसा फैली हुई है। इस बीच, मणिपुर के कई विधायकों के घरों में आग लगा दी गई। उपद्रवियों ने विधायकों की घर पर रखी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है।
एनपीपी ने भले ही बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया हो, लेकिन अभी भी बीजेपी की सरकार राज्य में बनी रहेगी, क्योंकि पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है।
मणिपुर में लगातार हिंसा के बीच प्रदर्शन हो रहे हैं और उग्र प्रदर्शनकारी नेताओं के घर को निशाना बना रहे हैं। इस बीच सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल ने इंफाल का दौरा किया।
मणिपुर में हाल में हुई हिंसक झड़पों और जारी हिंसा को राहुल गांधी ने बेहद परेशान करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह पूरे राज्य की सामाजिक संरचना को कमजोर कर रही है।
मणिपुर में तीन लोगों की मौत के बाद गुस्साई भीड़ विधायकों और मंत्रियों के घर में घुस गई। इसके बाद अनिश्चितकाल के लिए कर्प्यू लगा दिया गया है।
मणिपुर में शांति बहाली को लेकर गृह मंत्रालय ने साफ निर्देश सुरक्षाबलों को दे दिए हैं। सरकार को हर हाल में मणिपुर में शांति चाहिए। गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया कि महत्वपूर्ण मामलों की जांच एनआईए को सौंपी गई है।
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