रेलीगेयर समूह को 3,000 करोड़ रुपए की चपत लगाने के मुख्य किरदार मलविंदर मोहन सिंह (एमएमएस) और शिविंदर मोहन सिंह (एसएमएस) बंधु थे।
सिंह बंधुओं ने साजिश के तहत सुनिल गोधवानी के साथ मिलकर रेलीगेयर फिनवेस्ट पर नियंत्रण रखते हुए फर्जी कंपनियों और एमएमएस और एसएमएस से संबंधित कंपनियों को असुरक्षित, ऊंचे मूल्य के ऋण दिए।
रेलीगेयर फ्रॉड मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दिल्ली में एक कोर्ट को बताया कि देनदारियों को चुकता करने के लिए 1,260 करोड़ रुपए की राशि मलविंदर सिंह की कंपनी आरएचसी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई।
दोनों भाइयों के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और उसके बाद उनके कारोबार के पतन के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि अब दाईची सैंक्यो को भुगतान करने को लेकर सिंह बंधुओं के खिलाफ अवमानना की सुनवाई की जाएगी।
फोर्टिस हेल्थकेयर ने सेबी से मामले में सुनवाई का भी अनुरोध किया है।
फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मलविंदर मोहन सिंह ने अपने छोटे भाई शिविंदर मोहन सिंह पर मारपीट करने का आरोप लगाया
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह को अपने बड़े भाई मालविंदर सिंह के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस लेने को मंजूरी दे दी।
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