रोबोट वैज्ञानिक ईव की अगुआई में हुए शोध के मुताबिक, टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोजन नामक तत्व मलेरिया परजीवी विशेषकर डीएचएफआर नामक एक एंजाइम पर हमला कर उसकी वृद्धि को रोकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलेरिया परजीवी के इस खतरनाक प्रारूप को मौजूदा मलेरिया रोधी दवाओं से खत्म नहीं किया जा सकता...
लेरिया के सबसे घातक रूप प्लाजमोडियम फाल्सीपरम मलेरिया से लोगों को बचाने के लिए उपलब्ध एकमात्र टीके में सुधार किया जा सकता है।
झारखंड के दो मेडिकल अस्पतालों में इस साल अब तक 800 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई और इसमें से ज्यादातर मौतें इंसेफलाइटिस की वजह से हुई हैं। इस साल अब तक राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में 660 बच्चों की मौत और जमशेदपुर के महात्मा गांधी मे
दिग्गज इंटरनेट कंपनी Google की पैरंट कंपनी अल्फाबेट ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की आबादी कम करने की योजना तैयार की है।
मानसून आने के साथ ही मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, पीलिया जैसी कई बीमारियां भी दस्तक देने लगती हैं। इसके अलावा, जुकाम, खांसी जैसे विषाणुजनित संक्रमण होने का भी इन दिनों खतरा होता है..
नगर निगम द्वारा मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की गई थी। जिसके मुताबिक 24 जून तक चिकनगुनिया के लगभग 150 मामले सामने आए थे।
एनसीआरडीसी ने अपने फैसले में कहा है कि मच्छर काटने से हुए मलेरिया या डेंगू से पीडि़त व्यक्ति की मौत स्वाभाविक नहीं बल्कि एक दुर्घटना है।
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