उद्धव ठाकरे आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। एक पेशेवर फोटोग्राफर से लेकर महाराष्ट्र की सत्ता का सिरमौर बनने तक की उद्धव की कहानी उस फिल्म की तरह है जिसमें हर पल एक नया ट्विस्ट आता रहा।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लेंगे और इसके साथ महाराष्ट्र का सियासी इतिहास बदल जाएगा। अलग-अलग सिद्धांतों और विचाराधारा वाली तीन पार्टियां आज मिलकर सरकार बनाने जा रही हैं।
बुधवार को कांग्रेस-NCP-शिवसेना के बीच सरकार में हिस्सेदारी को लेकर बैठक भी हुई। बैठक के बाद NCP नेता प्रफुल्ल पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि NCP का डिप्टी सीएम होगा और कांग्रेस को स्पीकर का पद दिया जाएगा।
महाराष्ट्र की नयी सरकार में शिवसेना-राकांपा को 15-15 मंत्री पद मिल सकते हैं। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। वहीं, कांग्रेस को 13 मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है।
हितेंद्र ठाकुर के नेतृत्व वाली बहुजन विकास अघाडी (बीवीए) ने बुधवार को शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन ‘महाराष्ट्र विकास अघाडी’ (एमवीए) को समर्थन देने की घोषणा की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अजित पवार ने बुधवार को कहा कि उन्होंने जो किया उसे विद्रोह नहीं कहा जा सकता।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास मंत्रालय, राजस्व मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस-NCP में सहमति नहीं बन पा रही है।
एमसीपी प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में हारी हुई बाज़ी जीत ली है। शिवसेना, कांग्रेस और बीजेपी सभी शरद पवार के गेम प्लान में फंस चुके हैं। भले ही शरद पवार दिल्ली में कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए लेकिन उन्होंने मुंबई में अपना मुख्यमंत्री बनवा दिया है।
महाराष्ट्र की कांग्रेस इकाई के प्रमुख बालासाहेब थोराट ने बुधवार को कहा कि अगली सरकार में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच विभागों के बंटवारे के बारे में अगले कुछ दिनों में फैसला किया जाएगा।
महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में आज चुने गये नये विधायकों को शपथ दिलवाई गई। प्रोटेम स्पीकर कालीदास कोलंबकर ने सभी विधायकों को शपथ दिलवाई। कालीदास कोलंबकर बीजेपी के नेता हैं और महाराष्ट्र विधानसभा के वरिष्ठ सदस्य हैं।
देवेंद्र फडणवीस की जगह अब उद्धव ठाकरे के हाथ में महाराष्ट्र की कमान होगी। बीते 80 घंटों में महाराष्ट्र की सियासी सफर में बदलाव की ऐसी बयार बही कि सत्ता की कमान इधर से ऊधर हो गई।
शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाना उसके एक कार्यकर्ता को रास नहीं आया और उसने मंगलवार की रात को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रमेश सोलंकी नामक व्यक्ति ने पार्टी से इस्तीफे की घोषणा ट्विटर पर की।
महाराष्ट्र में बीते तीन दिनों में जबरदस्त सियासी उतार-चढ़ाव दिखे। इन तीन दिनों में बीजेपी सत्ता पर काबिज भी हुई और सत्ता से बेदखल भी हो गई। इन तीन दिनों में जो चेहरा सबसे ज्यदा चर्चा में रहा वो अजित पवार का है।
महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अचानक मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस की सरकार को बचाने के लिए भाजपा हरसंभव कोशिशों में जुटी है। एक तरफ कानूनी दांव-पेच पर पार्टी विचार करने में जुटी है, दूसरी तरफ नितिन गडकरी, पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की टीम को विधायकों से संपर्क के लिए मोर्चे पर लगाया गया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तीखा वार किया है। सामना में भगत सिंह कोश्यारी पर सीधा सवाल खड़ा किया गया है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई।
सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फडणवीस सरकार को 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि फडणवीस सरकार को 27 नवंबर को ओपन बैलेट से फ्लोर टेस्ट देना होगा। इसकी वीडियोग्राफी भी होगी। फ्लोर टेस्ट प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में ही होगा।
मुंबई में NCP, कांग्रेस और शिवसेना के पक्ष वाले सभी विधायकों के इकट्ठा होने के मौके पर कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने बहुमत होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि “हमारे पास 162 विधायक है, इसीलिए हमें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए।”
महाराष्ट्र सरकार की मीटिंग में उपमुख्यमंत्री अजित पवार नहीं पहुंचे। उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी के बराबर में कुर्सी डाली गई, जो खाली नजर आई।
महाराष्ट्र मुद्दे पर लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस सदस्यों ने भारी हंगामा किया। इस बीच पार्टी के दो सदस्यों हिबी इडेन एवं टी एन प्रतापन की मार्शलों के बीच धक्का-मुक्की भी हो गई।
महाराष्ट्र में नाटकीय घटनाक्रम के बीच भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस के मुख्यमंत्री और NCP नेता अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के मद्देनजर शरद पवार ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने वाले पार्टी विधायकों को पता होना चाहिए कि उनके इस कदम पर दल बदल विरोधी कानून लागू होगा।
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