यह मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है माना जाता है कि इस मंदिर में चल रही अखंड ज्योति के र्दर्शन करने और आटे का दिया जलाने से साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाती है कहा जाता है कि जब हनुमान जी लंका में प्रवेश कर रहे थे, उसी समय लंकिनी नाम की राक्षसी ने उनका रास्ता रोका तब हनुमानजी ने उसे अपने मुश्ठिका प्रहार से धूल चटा दी थी इस मंदिर में हनुमान जी के उसी स्वरूप के दर्शन होते है।
Exclusive: रात में कैसे खुलता है महाकाल का तीसरा नेत्र?
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