आज पौष मास की पुत्रदा एकादशी का दिन है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के निमित व्रत रखते हैं। यह एकादशी संतान का सुख प्रदान करने वाली है। अगर आप इस एकादशी का व्रत रखते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं तो इसकी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बिना व्रत कथा पढ़ें इसका फल अधूरा माना जाता है।
इस बार पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी 2024 दिन रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन कुछ नियमों का पालन करने के साथ ही साथ जान लीजिए इसका व्रत किस दिन खोला जाएगा और क्या रहेगा पारण का समय।
Putrada Ekadashi 2024 Date: पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से आपकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। तो आइए जानते हैं कि पुत्रदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
अयोध्या धाम आना प्रत्येक राम भक्त का सपना है। बड़े भाग्य से इस भूमि के दर्शन होते हैं। भगवान राम से पहले यहां श्री विष्णु सतयुग में जगत कल्याण के उद्देश से तपस्या करने आए थे। अयोध्या की इस जगह को भगवान नारायण का निवास स्थान बैकुंठ भी कह जाता है। यहां दर्शन मात्र से मिल जाता है पुण्य।
आज पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है और इसे सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं आज के दिन भगवान विष्णु की किन विशेष विधियों से पूजा की जाती है और क्या है सफला एकादशी की व्रत कथा जिसे सुनने और उसका पाठ करने से मिलता है पुण्य।
Ekadashi 2024 Upay: 7 जनवरी को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन कुछ विशेष उपायों को करने से जीवन की अलग-अलग समस्याओं का समाधान मिल जाता है।
Guruwar Vrat Niyam: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन गुरुवार व्रत के कुछ नियम है जिसे जानना बेहद जरूरी है।
भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तिथि एकादशी है। साल 2024 का शुभारंभ हो चुका है। इस बार नए साल की पहली एकदाशी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं।
Mokshada Ekadashi 2023: आज मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में आज के दिन इन विशेष उपायों को करने से प्रभु नारायण की कृपा से जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है।
Magh Maas 2024: हिंदू धर्म में माघ को पवित्रों महीनों में से एक माना जाता है। इस माह में विष्णु जी और भगवान भास्कर की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
यह मार्गशीर्ष का महीना चल रहा है और अब ये अपने अंतिम चरण में है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को लेकर लोगों में बड़ी असमंजस है। 22 या 23 दिसंबर आखिर कब रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत। आइए जानते हैं इसकी सही तारीख क्या है।
गरुड़ पुराण में जीवन के जन्म और मृत्यु के अटल सत्य को बताया गया है। इस पुराण में नरक लोक की यातनाओं और उनसे बचने के बारे में भी बातें लिखी हुई हैं। यदि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो गई है तो उसकी शांति के लिए ये एक पूजा करना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं आखिर वो कौन सी पूजा है।
आज भी उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में आज विष्णु जी और माता तुलसी के इन उपायों को करने से अलग-अलग समस्याओं का समाधान मिलता है।
आज मार्गशीर्ष मास की उत्पन्ना एकादशी है और इस दिन खान-पान को लेकर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एकादशी पर जो सबसे वर्जित काम है वो चावल का सेवन करना। आइए जानते हैं आखिर एकादशी पर चावल खाने कि क्यों मनाही।
हिंदू धर्म में कई त्योहार और व्रत आते हैं लेकिन आज हम आपसे एकादशी तिथि के व्रत के बारे में बात कर रहे हैं। यह तिथि श्री नारायण को सबसे ज्यादा प्रिय है। आज उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने वालों से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं एकदाशी पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Guruwar Ke Upay: गुरुवार के दिन इन उपायों को करने से जीवन में आ रही तमाम परेशानियों से छुटकारा मिलता है। तो आइए आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कि शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन कौन-कौनसे उपायों को करना चाहिए।
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है। साल में वैसे तो 24 एकादशी पड़ती हैं और महीने के हिसाब से दो। साल 2023 के खत्म होनें में अब दिसंबर का ही महीना बचा है और इस महीने आखिरी एकादशी कब मनाई जाएगी और क्या रहेगा उसका शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं।
Utpanna Ekadashi 2023 Date: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से हर दुख-तकलीफ दूर हो जाती है। तो आइए जानते हैं कि दिसंबर में आने वाली उत्पन्ना एकादशी व्रत की सही तिथि क्या है।
मार्गशीर्ष के पावन महीने का शुभारंभ हो चुका है। वैसे यह महीना भगवान कृष्ण की भक्ति को समर्पित है। लेकिन इस पावन महीने में एकादशी देवी का भी जन्म हुआ था। आइए जानते हैं आखिर एकादशी माता का जन्म कैसे हुआ और क्यों इस महीने उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।
बात करें हिंदू धर्म की तो भगवान विष्णु को जगत का पालन हार बताया गया है। इनका निवास स्थान बैकुंठ धाम है। लेकिन देवर्षि नारद के पूछने पर आखिर ऐसा भगवान विष्णु ने क्यों कह दिया की वो बैकुंठ धाम में नहीं रहते हैं। यदि बैकुंठ नहीं रहते श्री हरि तो फिर कहां निवास करते हैं।
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